IC814 में फंसा था ये VIP, दुनिया की 90% करेंसी पर था कंट्रोल, आज भी 70 देश इसके भरोसे

नेटफ्लिक्स पर आई वेब IC814 काफी चर्चा में है। मगर उस हाईजैक फ्लाइट में मौजूद सबसे वीआईपी शख्स की चर्चा अकसर कम ही होती है। ये थे रोबर्टो जियोरी, जो ''डे ला रू'' कंपनी के मालिक थे, जो 70 से ज्यादा देशों की करेंसी छापती थी।

डे ला रू
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​डे ला रू​

एक और अहम बात ये है कि डे ला रू तब 1999 में दुनिया की 90 फीसदी करेंसी-प्रिंटिंग को कंट्रोल करती थी। इसीलिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों तक ने उनकी सेफ्टी के लिए कोशिश शुरू कर दी थी।

रोबर्टो जियोरी
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रोबर्टो जियोरी ​

टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक जियोरी स्विट्जरलैंड के सबसे अमीर लोगों में शामिल थे और काठमांडू से छुट्टियां मनाकर लौट रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार अपहरणकर्ताओं ने एक बार भारत सरकार से 200 मिलियन डॉलर मांगे थे। तब वे नहीं जानते थे कि एक बंधक आसानी से ये रकम दे सकता है।

विमान को छोड़ दिया गया
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​विमान को छोड़ दिया गया​

मगर बाद में विमान को छोड़ दिया गया और उसके बाद जियोरी भी दिल्ली पहुंचे। डे ला रू ब्रिटेन में अपनी फैक्ट्रियों से सिक्योरिटी प्रोडक्ट्स, पासपोर्ट, चेकबुक और डाक टिकट भी छापती है। 1821 में थॉमस दे ला रू ने एक छोटे छापाखाने से कंपनी शुरू की थी। अब इसका हेडक्वार्टर ही कई एकड़ में फैला हुआ है।

करीब 100 देशों की करेंसी छापती थी
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​करीब 100 देशों की करेंसी छापती थी​

कंपनी को सबसे पहले 1955 में मॉरीशस और फिर ईरान की करेंसी छापने का काम मिला। 2003 तक ये करीब 100 देशों यानी आधी दुनिया के करेंसी नोट छापती थी।

डॉलर ब्रिटिश पाउंड और कतर के रियाल
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​डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और कतर के रियाल​

डे ला रू ने डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और कतर के रियाल तक छापे। अब भी 70 देश डे ला रू से अपनी करेंसी छपवाते हैं, जिनमें अधिकतर छोटे अफ्रीकी देश हैं।

रेवेन्यू करीब 3656 करोड़ रु
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​रेवेन्यू करीब 3656 करोड़ रु​

2023 में इसका रेवेन्यू करीब 3656 करोड़ रु रहा। कंपनी ने शुरुआत में ताश के पत्ते प्रिंट किए और फिर 1855 में स्टांप टिकट छापने शुरू किए। कंपनी को आज भी एक ही परिवार चलाता है।

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