पंजाब से सीधे पहुंचेंगे हिमाचल प्रदेश, बनने जा रहा 6-लेन जीरकपुर बाईपास, जाम फ्री होंगे ये 3 हाईवे; जमीन के दाम छुएंगे आसमान!
हरियाणा के पंचकूला और पंजाब के जीरकपुर को जाम से मुक्त कराने के लिए 6 लेन एक्सेस कंट्रोल्ड जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी मिल गई है। 19.2 किलोमीटर लंबे रूट के विकसित होने से एनएच-7, एनएच -5 और एनएच -152 के भीड़भाड़ क्षेत्रों से ट्रैफिक को लोड कम होगा। जबकि, पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी से ट्रैफिक को हटाकर हिमाचल प्रदेश को सीधी कनेक्टिविटी दी जाएगी।

जीरकपुर बाईपास 6 लेन को मंजूरी
हरियाणा और पंजाब को कनेक्टिविटी देने का कवायत तेज हो गई है। जीरकपुर बाईपास 6 लेन के निर्माण को हरी झंडी मिल चुकी है। 19.2 किलोमीटर लंबे इस बाईपास को पंजाब और हरियाणा में एनएच (ओ) के तहत हाइब्रिड एन्युटी मोड पर बनाया जाएगा और यह एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) के जंक्शन से शुरू होकर एनएच-5 (जीरकपुर-परवाणू) के जंक्शन पर समाप्त होगा। इस बाईपास के खुलने से पंजाब में जीरकपुर और हरियाणा में पंचकूला के अधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से बचा जा सकेगा। कम समय में लोग शहर के बाहर-बाहर निकल जाएंगे। इससे शहर के अंदर जाम से छुटकारा मिलेगा और बाहर से गुजरने पर वाहन चालकों का ईधन और समय दोनों की बचत होगी।

जीरकपुर-पंचकूला बाईपास के फायदे
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी से यातायात को हटाकर हिमाचल प्रदेश को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करके जीरकपुर, पंचकूला और आसपास के क्षेत्रों में भीड़भाड़ को कम करना है। वर्तमान प्रस्ताव का उद्देश्य यात्रा के समय को कम करना और 4 लेन वाले एनएच-7, एनएच -5 और एनएच -152 के भीड़भाड़ वाले शहरी खंड में निरंतर यातायात सुनिश्चित करना है। सरकार ने चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली शहरी क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने के लिए सड़क नेटवर्क विकसित करने का काम शुरू किया है।

जीरकपुर बाईपास की लागत कितनी है?
जीरकपुर बाईपास इस योजना का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इस परियोजना को विकसित करने के लिए 1,878 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए 2 साल का लक्ष्य रखा गया है। यदि यह समय से पूरा होता है तो साल 2027 तक इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा, जिससे भारी संख्या में लोगों को सीधा फायदा होगा। इसकी 15 वर्ष की परिचालन अवधि तय की गई है। इस दौरान इसको बनाने वाली कंपनी ही मेंटिनेंस करेगी।

हिमाचल प्रदेश की ओर सीधे निकलेंगे वाहन
इस परियोजना से चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली शहरी क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी। इन शहरों में वाहनों की भीड़भाड़ कम करने के लिए विकसित किया जाएगा। रिंग रोड सर्कल का आकार लेने वाली सड़क से वाहन बिना शहरों में प्रवेश किए बाहर-बाहर अपने-अपने गंतव्य की ओर निकल जाएंगे। इस बाईपास से हिमाचल प्रदेश की ओर जाने वाले यातायात को डायवर्ट किया जाएगा, इससे पंचकूला और जीरकपुर ट्रैफिक के बोझ काफी हद तक राहत महसूस करेंगे।

बाईपास बनाना क्यों जरूरी
जीरकपुर बाईपास बनने से संबंधित रूट पर जमीनों के दाम बढ़ेंगे। बाईपास के किनारे वाहनों से संबंधित सर्विसिंग गैराज और दुकानें खुलेंगी, जिससे लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। जमीनों के दाम बढ़ने से जमीन मालिकों को चांदी होगी। जानकारी के मुताबिक, चंडीगढ़ से करीब 15 किलोमीटर दूर जीरकपुर सुनसान इलाका था। महज कुछ गांव हुआ करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां व्यापक पैमाने पर फ्लैट्स बनने लगे और लोग बसने लगे। दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर ही जीरकपुर पड़ता है, लिहाजा यहां चौतरफा से ट्रैफिक आकर मिलता था। पटियाल, लुधियाना, शिमला, चंडीगढ़ और हरियाणा के लिए यहीं से रास्ता होकर गुजरता है। लिहाजा, यहां भारी ट्रैफिक समस्या का सामना करना पड़ता है, जिससे यहां बाईपास बनाना आवश्यक था। ये बाईपास मोहाली इंटरनेशनल तक वैकल्पिक रास्ता भी मिल जाएगा।

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