बादलों की सैर कराती हैं भारत की ये ट्रेन यात्राएं, जानिए किन शहरों के बीच चलती हैं
भारतीय रेलवे विविधताओं से भरे हमारे देश को एक सूत्र में पिरोती है। पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक देश की हजारों किलोमीटर की दूरी ट्रेन से बेहतर कोई नहीं समेटता। लेकिन भारत में कुछ ऐसे रेलवे ट्रैक भी हैं, जहां आप बादलों के बीच सफर करते हैं और यात्रा आपको हमेशा के लिए याद रहती है। चलिए जानते हैं किन शहरों के बीच होती हैं ये यात्राएं।

माथेरन हिल रेलवे
महाराष्ट्र में मुंबई के पास वेस्टर्न घाट में माथेरन हिल रेलवे एक अद्भुत अनुभव देती है। साल 1907 में बनकर तैयार हुआ यह 21 किमी का ट्रैक घने जंगलों, घाटियों और धुंध भरे पहाड़ों के बीच से गुजरता है। माथेरन एक ईको सेंसिटिव जोन है, जहां पर इस ट्रेन के अलावा किसी भी अन्य तरह से ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध है। माथेरन जाने के लिए आपको इस ट्रेन से ही सफर करना होता है। इस ट्रेन से यात्रियों को सहयाद्री रेंज का अद्भुत नजारा मिलता है।

कांगड़ा वैली रेलवे
कांगड़ा वैली रेलवे असल में एक छिपा हुआ खजाना ही है, जो पंजाब में पठानकोट से हिमाचल प्रदेश में जोगिंदर नगर के बीच चलती है। पर्यटकों के बीच कालका-शिमला ट्रेन मशहूर है, लेकिन इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। लेकिन यह ट्रेन अपने 164 किमी के सफर को कांगड़ा वैली के खूबसूरत और मन मोह लेने वाले नजारों के बीच पूरा करती है। हरियाली और धौलाधार रेंज के बीच यह सफर काफी रोमांचक होता है। यह ट्रेन 33 टनल से होकर जाती है।

कालका शिमला रेलवे
हरियाणा में कालका से शुरू होने वाली यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तक जाती है। इस रेलवे लाइन को साल 1903 में बनाया गया था, उस समय शिमला ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। कुल 96 किमी के इस सफर में 102 टनल, 864 ब्रिज और 900 से अधिक कर्व हैं। इसे दुनिया के सबसे खूबसूरत ट्रेन सफर में गिना जाता है। ट्रेन के सफर के दौरान चीड़ के ऊंचे-ऊंचे जंगल, पहाड़ और झरनों का शानदार नजारा होता है।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
पश्चिम बंगाल में मौजूद इस पहाड़ी रेल को टॉय ट्रेन भी कहते हैं। साल 1999 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया था। यह नैरो गेज रेलवे न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच करीब 88 किमी का सफर तय करती है। हरे-भरे चाय के बागानों, पहाड़ी गांवों और पूर्वी हिमालय के दिल को छू लेने वाले नजारों के बीच इसमें सफर का आनंद ही कुछ और है। इस ट्रेन से आपको कंचनजुंगा पर्वत के भी दर्शन हो जाते हैं।

नीलगिरी माउंटेन रेलवे
तमिलनाडु में मेट्टुपलयम से ऊटी के बीच चलने वाली नीलगिरी माउंटेन रेलवे यूनेस्को विश्व धरोहर है। इस मीटर गेज रेलवे रूट का काम 1908 में पूरा हुआ था। यह ट्रेन कई जगहों पर घड़ी चढ़ाई पर चलती है, जो इसे खास बनाती है। अपने 46 किमी के सफर के दौरान यह ट्रेन घने जंगलों, हरे-भरे चाय के बागानों और खूबसूरत पहाड़ों के बीच से गुजरती है। केल्लार और कुन्नूर के बीच ट्रेन सिर्फ 19 किमी के सफर के दौरान 4000 फीट की ऊंचाई पर पहुंच जाती है।

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