मुगलों के बनाए आगरा किले में क्यों है अमर सिंह द्वार, किसने रखा यह नाम; जानिए और कौन-कौन से गेट हैं

बात ऐसे गेट की हो रही है जिसे बनने में 95 साल और चार पुश्तें खप गईं तो निश्चित तौर पर आप समझ गए होंगे कि बात आगरा किले की हो रही है। इस किले को कई लोग इसके लाल रंग के चलते आगरा का लाल किला भी कहते हैं। मुगलों के बनाए इसी किले में एक गेट को बनाने में 95 साल लग गए थे। चलिए जानते हैं -

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अकबर ने बनवाया आगरा का किला

मुगल बादशाह अकबर ने आगरा किले का निर्माण करवाया था और इसे अपनी राजधानी के रूप में चुना था। यह विशाल किला मुगलिया सल्तनत की निशानी है और दो सौ साल तक मुगलों की सत्ता का केंद्र रहा।

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आगरा के किले में 4 गेट

आगरा के किले में कुल चार गेट हैं। इन गेटों को इस तरह से बनाया गया है कि एक गेट से दूसरा नजर नहीं आता। इन्हें जिग-जैग बनाने के पीछे कारण दुश्मन की रफ्तार को धीमा करना था।

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चारों गेटों के नाम

आगरा के किले में मौजूद चारों गेटों के नाम खिजरी गेट, अमर सिंह गेट, दिल्ली गेट और गजनी गेट हैं। बता दें कि सिर्फ अमर सिंह गेट ही आम जनता के लिए अब खुला है। पूर्व में दिल्ली गेट के सामने एक दीवार थी, जिसे त्रिपोलिया कहा जाता था।

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बाजार लगता था यहां

त्रिपोलिया यानी तीन गेट के पास मुगल काल और उसके बाद भी बाजार लगा करता था। साल 1875 में मिलिट्री ने इस पूरे इलाके को खाली करवा लिया था।

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अमर सिंह गेट क्यों

मुगल बादशाह शाहजहां के एक सेनापति का नाम अमर सिंह राठौर था। शाहजहां की मौजूदगी में अमर सिंह की हत्या के बाद राजपूतों ने जब मुगलों पर हमला किया तो यह दरवाजा राजपूतों की वीरता की निशानी के रूप में अमर सिंह दरवाजा कहलाया।

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95 साल में बना यह गेट

आगरा किले में मौजूद अकबर दरवाजा या अकबरी गेट को बनने में 95 साल लग गए थे। यह गेट दिल्ली गेट की तरह ही डिजाइन किया गया है। बाद में शाहजहां ने इक गेट का नाम बदलकर अमर सिंह दरवाजा कर दिया था।