सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने से पहले नोएडा के इस गांव में रुके थे भगत सिंह

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में मौजूद सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर क्रांति की जो ज्वाला जलाई वह आज भी नोएडा के एक गांव में जिंदा है। क्रांतिकारियों ने असेंबली में बम फेंकने से पहले नोएडा के इस गांव में न सिर्फ शरण ली, बल्कि यहीं पर बम तैयार भी किया था। चलिए जानते हैं -

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​देश की खातिर दी जान​

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की वीरता की कहानी तो देश के कण-कण में रची-बसी है। देश की आजादी की खातिर उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था।

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​नोएडा का योगदान​

नोएडा भले ही बना बाद में हो, लेकिन आजादी की लड़ाई में इस क्षेत्र ने भी योगदान दिया। दिल्ली के करीब होने के कारण यह क्षेत्र उस समय देश के महान क्रांतिकारियों के लिए शरणस्थली बन गया था।

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​नोएडा इस गांव में रुके थे क्रांतिकारी​

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू आजाद हिंद फौज में रहे करनैल सिंह के घर पर करीब 6 साल तक छिपे रहे। जहां यह क्रांतिकारी छिपे रहे, उस गांव का नाम नलगढ़ा है।

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​गांव में बनाया बम​

महान क्रांतिकारियों ने तत्कालीन सेंट्रल असेंबली में 8 अप्रैल 1929 को जो बम फेंका था, उसे इसी नलगढ़ा गांव में तैयार किया था। इसी गांव में छिपकर क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति भी तैयार करते थे।

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​कहां है नलगढ़ा गांव​

नलगढ़ा गांव नोएडा में सेक्टर 44 पास मौजूद महामाया फ्लाईओवर से करीब 15 किमी दूर एक्सप्रेसवे पर ही पड़ता है। इसी गांव के पास नोएडा का सेक्टर 145 बसाया गया है। दिल्ली से नलगढ़ा की दूरी सिर्फ 25 किमी है।

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​ऐसा था नलगढ़ा गांव​

उस समय यह क्षेत्र बाढ़ जोन में था और यहां घना जंगल हुआ करता था। ऐसे में ब्रिटिश सैनिकों के लिए क्रांतिकारियों को ढूंढना आसान नहीं होता था। बारिश के दिनों में सूरजपुर से नलगढ़ा के लिए नाव से सफर करना पड़ा था।

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​ऐतिहासिक पत्थर​

गांव में एक ऐसा पत्थर आज भी सुरक्षित रखा गया है, जिस पर क्रांतिकारी बम को घिसने और मसाला तैयार करने के लिए इस्तेमाल करते थे। आजाद हिंद फौज में रहे स्वतंत्रता सेनानियों के कुछ परिवारजन आज भी यहां रहते हैं। इस तस्वीर के अलावा सभी तस्वीरें AI की मदद से बनाई गई हैं।