थरथराता दिल्ली-NCR, 32 सालों में 446 भूकंप बार डोली धरती; 'टेक्टोनिक प्लेट' नहीं है जिम्मेदार
Delhi Earthquake: दिल्ली एनसीआर में सोमवार सुबह भूकंप के झटकों से लोगों की नींद खुली और तमाम लोग घबराकर घरों से बाहर आ गए। भूकंप का केंद्र धौला कुआं के झील पार्क क्षेत्र में पांच किमी की गहराई पर था और वहां कुछ लोगों को भूकंप के बाद तेज आवाजें सुनाई देने की खबरें हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिछले 32 सालों में 400 से ज्यादा भूकंप 50 किमी की परिधि में आए हैं।

थरथराता दिल्ली-NCR
उत्तर भारत में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। भूकंप संभावित दूरस्थ और निकटस्थ स्थानों में भूकंप आने पर भी दिल्ली में झटके महसूस किए जाते हैं। दिल्ली को भूकंपीय क्षेत्र-4 में रखा गया है, जो देश में दूसरा सबसे खतरे वाला क्षेत्र है।

कितनी तीव्रता के आए भूकंप
धौलाकुआं इलाके के आसपास बीते 32 साल में 446 भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इन तमाम भूकंप की तीव्रता 1.1 से 4.6 मापी गई हैं। केंद्र सरकार ने 1993 से 2025 तक के भूकंप के झटकों से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की।

सबसे ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप
पिछले 32 सालों में सबसे ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप 25 नवंबर, 2007 को आया था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक ओ.पी. मिश्रा ने कहा कि धौला कुआं क्षेत्र में 2007 में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि, इसका प्रभाव सोमवार के भूकंप जितना तीव्र नहीं था, क्योंकि इसका केंद्र 10 किमी की गहराई में था।

बार-बार क्यों आते हैं भूकंप
बकौल रिपोर्ट, दिल्ली एनसीआर के इस इलाके के भूगर्भ में दो बड़ी फाल्ट लाइन सोहना और मथुरा मौजूद है जिनकी भूगर्भीय हलचलों की वजह से यहां पर भूकंप आते हैं।

दूसरा सबसे खतरे वाला क्षेत्र है दिल्ली-NCR
हिमालयी भूकंपों के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को मध्यम से उच्च जोखिम वाली भूकंपीय गतिविधि वाला क्षेत्र माना जाता है। हिमालयी क्षेत्र के गढ़वाल में 1803 में 7.5 तीव्रता का भूकंप, उत्तरकाशी में 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप, चमोली में 1999 में 6.6 तीव्रता का भूकंप, गोरखा में 2015 में 7.8 तीव्रता का भूकंप और हिंदुकुश क्षेत्र में आए कुछ मध्यम भूकंप इसके उदाहरण हैं।

क्या टेक्टोनिक प्लेट के कारण आया भूकंप
बकौल विशेषज्ञ दिल्ली में टेक्टोनिक प्लेट की वजह से भूकंप नहीं आया था, बल्कि इसके लिए भूगर्भीय विशेषताओं में प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलाव जिम्मेदार हैं। बकौल रिपोर्ट, धौलाकुआं इलाके में लाखों साल पहले नदी या बड़ा जलाशय रहा होगा, जो बाद में अपनी जगह से खिसक गया होगा और खाली जगह पर ढीली मिट्टी एकत्रित हो गई होगी। साथ ही चट्टानें भी मौजूद होंगी। ऐसे में भूगर्भीय हलचल की वजह से पैदा होने वाली ऊर्जा ढीली मिट्टी और चट्टानों वाले क्षेत्र से बाहर निकल आती हैं।

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