अपने गुस्से के लिए पहचाने जाने वाले ऋषि दुर्वासा का आश्रम है यहां, आना न भूलें

संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महा कुम्भ मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस दौरान आप भी संगम पर महाकुंभ स्नान करके पुण्य कमाने आ रहे हैं तो अपने गुस्से के लिए विख्यात ऋषि दुर्वासा के आश्रम का दौरान करना न भूलें। आश्रम के बारे में पूरी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।

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रुद्र अवतार दुर्वासा ऋषि

मान्यता के अनुसार महर्षि अत्रि और परमसती अनुसुइया के घनघोर तप के फलस्वरूप स्वयं भगवान शिव ही दुर्वासा जी के रूप में दत्तात्रेय एवं चंद्रमा के साथ अवतीर्ण हुए। मंदिर में दुर्वासा जी के साथ शिवलिंग, पार्वती जी और गणेश जी की प्रतिमाएं हैं।

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कहां है दुर्वासा ऋषि आश्रम

ऋषि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज से करीब 25 किमी दूर ककरा गांव में है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस आश्रम को महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली माना जाता है और यह भक्तों की आस्था का केंद्र है।

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क्रोध और तपस्या के लिए प्रसिद्ध

ऋषि दुर्वासा ने कठोर तप करके सिद्धियां हासिल की थी। वह अपने क्रोध के कारण ज्यादा प्रसिद्ध हुए। रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक उनके क्रोध की कई कहानियां प्रसिद्ध हैं।

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आश्रम का आध्यात्मिक वातावरण

प्रयागराज में मौजूद महर्षि दुर्वासा के आश्रम का वातावरण बेहद शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है। यहां का वातावरण भक्तों को ध्यान और साधना के लिए प्रेरित करता है। भक्त यहां पर नियमित रूप से पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान के लिए आते हैं। दुर्वासा जयंती पर यहां विशेष आयोजन होते हैं।

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शिव और दुर्वासा की पूजा करने आते हैं भक्त

महर्षि दुर्वासा का आश्रम हनुमानगंज से 7 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचना आसान है और भक्त भगवान शिव व दुर्वासा ऋषि की पूजा कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करने यहां आते हैं।

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मेले का आयोजन भी होता है

सावन और कार्तिक के महीनों में यहां पर विशेष मेले का आयोजन भी होता है। इस दौरान बड़ी संख्या में यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।