कभी था जो भारत का आखिरी गांव, आज है पहला, जानिए क्या है माणा का असली नाम
माणा गांव, जिसे कई दशकों तक भारत का आखिरी गांव माना जाता था, आज देश का पहला गांव है। बद्रीनाथ से 3 किमी दूर स्थित माणा, वैसे तो कई मायनों से प्रसिद्ध है, लेकिन क्या आप इसका असली नाम जानते हैं? आज हम आपको देव भूमि उत्तराखंड के इस गांव का नाम और इससे जुड़े तथ्यों के बारे में बताएंगे। तो आइए जानते हैं इसके बारे में।

माणा गांव
माणा भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक गांव है। ये तिब्बत की सीमा पर मौजूद भारत का पहला गांव है, जहां से तिब्बत की सीमा मात्र 26 किमी दूर है। अलकनंदा नदी और प्राचीन सरस्वती नदी का संगम भी यहीं स्थित है। माणा गांव, समुद्र तल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर है, जिससे ये भारत का सबसे ऊंचा गांव भी माना जाता है।

माणा का असली नाम
स्थानीय लोगों और इतिहासकारों के मुताबिक माणा का असली नाम मणिभद्र पूरम बताया जाता है। इस गांव का नाम मणिभद्र नामक यक्ष देवता के नाम पर है जिन्हें यहां ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। इस गांव का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व सदियों से चला आ रहा है।

आखिरी गांव से पहला गांव
अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा के दौरे पर आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना था कि माणा को देश का पहला गांव कहा जाना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) ने इस गांव को भारत का पहला गांव घोषित कर दिया।

सरस्वती नदी का उद्गम स्थल
भारत में ये एक मात्र स्थान है जहां प्राचीन और गुप्त सरस्वती नदी को देखा जा सकता है। माणा गांव की लोकप्रियता सरस्वती नदी के उद्गम स्थल के रूप में भी है। जिस जगह पर अलकनंदा नदी और सरस्वती नदी का संगम होता है, उस स्थान को केशव प्रयाग कहा जाता है।

व्यास गुफा
ये प्राचीन गुफा माणा में स्थित है, जो कि बद्रीनाथ धाम से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि ये वो जगह है जहां वेद व्यास ने भगवान गणेश की मदद से महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। आज ये गुफा एक मंदिर के रूप में मौजूद है।

माणा का खान-पान
भारत-तिब्बत की सीमा के पास मौजूद होने की वजह से, माणा के स्थानीय खान-पान में उत्तराखंड और तिब्बती संस्कृति का संगम देखने को मिलात है। यहां के लोग मुख्य रूप से चैंसू, मडुआ की रोटी, थुकपा और मोमोज खाते हैं।

माणा की आबादी
माणा गांव की आबादी 400 के करीब है और यहां लगभग 60 घर हैं। यहां ज्यादातर घर दो मंजिलों पर बने हुए रहते हैं और जिन्हें बनाने में लकड़ी का ज्यादा इस्तेमाल होता है। घर की छत पत्थर के पटालों की बनी होती है। इन घरों की खूबी ये है कि इस तरह के मकान भूकम्प के झटकों को आसानी से झेल लेते हैं।

गणित के 9 की भीड़ में छिपकर बैठा है 8 नंबर, अगर दम है तो खोजकर दिखाएं आज

टीम इंडिया से बाहर किए गए खिलाड़ी ने इंग्लैंड में जड़ दिया शतक, देखते रह गए कप्तान गिल

IIT, IIM और फिर IPS, इस IAS ने UPSC के लिए छोड़ी करोड़ों की नौकरी

भविष्य को पहले ही भांप लेते हैं इस मूलांक के लोग, इनकी छठी इंद्रिय होती है बेहद तेज

पतली कमर बनाए रखने के लिए ये देसी जुगाड़ अपनाती हैं मलाइका अरोड़ा, ऐसे नाप-तोल खाती हैं खाना, बनी हुईं हैं जवां

Happy Fathers Day Wishes to My Husband: पति को हैपी फादर्स डे विश कैसे करें, फादर्स डे पर पार्टनर से क्या कहना चाहिए

Sushant Singh Rajput की याद में आज भी तड़पती हैं अंकिता लोखंडे, एक्टर की डेथ एनिवर्सरी पर हुई भावुक

साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया के दौरे पर PM Modi रवाना, जी 7 शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग; जानिए किन-किन देशों के प्रमुख से करेंगे मुलाकात

दिल्ली में सर्किल रेट में होगा सुधार, CM रेखा गुप्ता ने कमेटी बनाने के दिए निर्देश

Rajasthan Weather: राजस्थान में तपिश से राहत की उम्मीद; प्री-मानसून की हलचल से मौसम का बदलाव सक्रिय
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited