PHOTOS: भारत की एक बदकिस्मत इमारत! 7 मंजिला महल की अधूरी दास्तान

नवाबों का शहर लखनऊ और यहां मौजूद लखनऊ की शान में खड़ी ऐतिहासिक इमारतें आज भी इतिहास की कई कहानियों को समेटे हुए हैं। उन्हीं इमारतों में से अवध की एक ऐसी इमारत है, जिसकी दास्तान कभी मुकम्मल नहीं हो सकी। एक बादशाह की अधूरी ख्वाहिशों के साथ ही अधूरा रह गया इस इमारत का अस्तित्व। लेकिन, आज भी यह अपनी खूबसूरती वास्तुकला से लोगों को अपनी ओर खींचती है। आइए आज इस अधूरी इमारत के बारे में जानते हैं-

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अवध की इमारत

लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में कई इमारतों के नाम शामिल हैं। लेकिन, सतखंडा की कहानी बाकी सबसे बहुत अलग है, जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए मशहूर है। यह अवध की एक अधूरी इमारत, जिसे अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह बहादुर ने बनवाा था।

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सतखंडा का शाब्दिक अर्थ

सतखंडा का शाब्दिक अर्थ है ‘सात मंजिला’। बादशाह इसे सात मंजिलों का बनाना चाहता था। इतिहासकारों की मानें तो बादशाह मोहम्मद अली शाह सतखंडा के निर्माण के बाद यहां से अपने परिवार के साथ चांद का दीदार करना चाहता था।

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किंग मोहम्मद अली शाह

एक तरह से सतखंडा को किंग मोहम्मद अली शाह के मोहब्बत का नमूना कहा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि सतखंडा की चार मंजिलें बनने के बाद बादशाह सतखंडा का निरीक्षण करने गए थे तो वहां सीढ़ी से फिसल गए और उन्हें चोट लग गई।

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अगले बादशाह

चोट लगने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद उनके बेटे अगले बादशाह बनाए गए।

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किंग अमजद अली शाह

किंग अमजद अली शाह ने सोचा कि सतखंडा का निर्माण नहीं करना चाहिए, क्योंकि जो इसका निर्माण उनके पिता करवा रहे थे और जब वो ही नहीं रहे। उन्होंने आगे इसका निर्माण नहीं कराया।

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अधूरी इमारत

इस तरह से बादशाह की अधूरी ख्वाहिशों के साथ ही इस इमारत का निर्माण हमेशा के लिए अधूरा ही रह गया। लेकिन, इस इमारत की खूबसूरत वास्तुकला लोगों को आकर्षित करती है।

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मनहूस इमारत!

इस तरह इस इमारत सात मंजिलों तक नहीं पहुंचा और चार मंजिल बनकर ही रह गया। ऐसा कहा जाता है कि बादशाह के मौत के बाद उनकी बेगम और घर की महिलाएं इस इमारत को मनहूस मानकर उसे पूरा नहीं कराया।