महा कुम्भ में इस बार बनेंगे ये 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड, आप तो पहले ही जान लीजिए

महा कुम्भ 2025 में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। संगम नगरी में इस महा कुंभ के लिए सरकार और प्रशासन ने जबरदस्त तैयारियां की हुई हैं। दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले में इस बार चार वर्ल्ड रिकॉर्ड भी गिनीज बुक में दर्ज होंगे। जिन चार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड पर इस महाकुंभ में नगर है, उनके बारे में यहां जानें -

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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम आना अपने आप में सम्मान की बात होती है। इस वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए लोग कई मेहनत और कई तरह के कार्य करते हैं। महा कुम्भ 2025 में 4 रिकॉर्ड इस बुक में दर्ज कराने के लिए कई लोग और संस्थाएं मिलकर काम करेंगे।

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सबसे बड़ा सफाई अभियान

महा कुम्भ के दौरान 15000 कर्मचारी एक साथ करेंगे शहर की सफाई करेंगे। 10 किमी क्षेत्र में एक साथ सफाई अभियान चलाया जाएगा और वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होगा। इससे पहले 2019 के अर्ध कुंभ में 10 हजार से ज्यादा स्वच्छताकर्मियों ने कई जगह सफाई कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

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सबसे बड़ी ई-व्हीकल्स परेड

महा कुम्भ 2025 में अब तक की सबसे बड़ी ई-व्हीकल्स परेड निकाली जाएगी। इस परेड में 1000 ई-रिक्शा शामिल होंगे, जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड होगा। साल 2019 के अर्ध कुंभ में 510 बसों की 3.2 किमी लंबी नॉन स्टॉप परेड कराई गई थी, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड थी।

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सबसे ज्यादा हैंडप्रिंट

महा कुम्भ 2025 में 10 हजार से अधिक कलाकार 8 घंटे से ज्यादा समय तक एक साथ हैंड पेंटिंग करके पेंटिंग वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम करेंगे।

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2019 में भी बना रिकॉर्ड

इससे पहले 2019 अर्ध कुंभ में 7664 प्रतिभागियों ने 8 घंटे में जय गंगे थीम पर पेंट माई सिटी के तहत वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

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नदी की सबसे बड़ी सफाई

महाकुंभ 2025 में 300 प्रतिभागी संगम नगरी में गंगा नदी की सफाई के लिए अभियान चलाएंगे। कई स्थानों पर एक साथ चलने वाले इस अभियान के जरिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया जाएगा।

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कुंभ 2019

साल 2019 में हुए प्रयागराज अर्ध कुम्भ में तीन रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज हुए थे। इसमें 48 घंटे में 3 रिकॉर्ड बने थे, जिसमें 8 घंटे में 7664 लोगों ने जय गंगे थीम पर पेंटिंग की। 10 हजार से ज्यादा सफाईकर्मियों ने एक साथ सफाई अभियान चलाया और 510 बसों की 3.2 किमी लंबा नॉन स्टॉप परेड हुई। इस अर्ध कुंभ में 25 करोड़ पर्यटक और श्रद्धालु आए थे और कुंभ नगरी 3200 हेक्टेयर में फैली थी।