दो सप्ताह में शुरू होगा महाकुंभ, इन चार शहरों को कहा जाता है कुंभ नगरी
महाकुंभ 2025 में अब अधिक समय बाकी नहीं रह गया है। गिनकर केवल 2 सप्ताह बाकी रह गए हैं। यूपी सरकार महाकुंभ 2025 को श्रद्धालुओं के लिए यादगार बनाने में जुटी हुई है। महाकुंभ के लिए प्रयागराज का कायाकल्प किया जा रहा है। इस बीच आइए आपको कुंभ नगरी के नाम से प्रसिद्ध शहरों के बारे में बताएं -
महाकुंभ 2025 को लेकर यूपी सरकार की तैयारी जोरों पर हैं। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक कुल 45 दिन तक चलने वाला है। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में किया जाता है। लेकिन बता दें कि हर 12 साल बाद महाकुंभ का स्थान बदला जाता है। यह दो ग्रहों की ज्योतिष गणना के आधार पर होता है। महाकुंभ का आयोजन केवल 4 स्थानों पर किया जाता है, जिसका जिक्र पौराणिक कथाओं में मिलता है। इन चारों स्थानों को कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। आइए आपको बताएं इन्हें कुंभ नगरी क्यों कहा जाता है और यह चार शहर कौन से हैं?
कुंभ नगरी में कौन से शहर है
कुंभ नगरी के रूप में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक को जाना जाता है। कहा जाता है कि अमृत की बूंदे प्रयागराज के संगम, हरिद्वार की गंगा, उज्जैन की शिप्रा और नासिक की गोदावरी नदी में गिरी थी। यही कारण है कि महाकुंभ के दौरान इन नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।
कुंभ नगरी क्यों कहा जाता है
माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत का कलश निकला था। इस कलश से अमृत कुल 12 स्थानों पर गिरा था, जिसमें से 4 स्थान भारत में और 8 स्वर्ग में है। जिन चार स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर अमृत गिरा था, उन्हीं स्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। इन शहरों को कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन स्थानों पर स्नान के लिए पहुंचते हैं। और पढ़ें
ज्योतिष गणना के आधार पर महाकुंभ की जगह का होता निर्धारण
कुंभ इन 4 पवित्र स्थानों में से कहां होगा इसका निर्धारण ज्योतिष गणना के आधार पर किया जाता है। इसके लिए सूर्य और बृहस्पति ग्रह की स्थिति को देखा जाता है और उसके आधार पर स्थान निर्धारित किया जाता है।
प्रयागराज और हरिद्वार में महाकुंभ कब लगता है
ज्योतिष गणना के आधार पर जब सूर्य ग्रह मकर राशि में और बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में होता है तब प्रयागराज में कुंभ का आयोजन किया जाता है। वहीं हरिद्वार में कुंभ तब लगता है जब सूर्य ग्रह मेष राशि में और बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में होता है।
नासिक और उज्जैन में महाकुंभ कब लगता है
नासिक में कुंभ का आयोजन तब किया जाता है जब सूर्य ग्रह के साथ बृहस्पति ग्रह सिंह राशि में होता है। वहीं उज्जैन में कुंभ तब लगता है जब बृहस्पति ग्रह सिंह में और सूर्य मेष राशि में होता है।
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