​New Pamban Bridge: समुद्री जहाज को देखते ही दो हिस्सों में बंट जाएगा पुल, खुलने वाला है वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज; 98 KM रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें​

रामेश्वरम् को रेल मार्ग से कनेक्ट करने के लिए निर्मित किए गए आधुनिक नए पंबन ब्रिज को खोलने की तैयारी है। 6 अप्रैल को ट्रेन यातायात के लिए समर्पित होने वाला ये पुल आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जा रहा है। 2.2 किलोमीटर लंबे ब्रिज के नीचे से समुद्री मालवाहक जहाज पास होंगे तो वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज का 72 मीटर का हिस्सा 22 मीटर ऊंचाई तक उठ जाएगा, जिससे बड़े समुद्री जहाज आसानी से गुजर सकते हैं। ब्रिज के ऊपर से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों की आवाजाही होगी। आइये जानते हैं इस पुल की और क्या खासियतें हैं?

भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज
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​भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज​

दुनिया के अनोखे पुलों में शामिल भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज यानी पंबन पुल खुलने का तैयार है। रामनवमी को देश को समर्पित होने वाले इस ब्रिज की खासियतें किसी आधुनिक इंजीनियरिंग के कमाल से कम नहीं। दक्षिण भारत के समुद्री तट पर रामेश्वरम द्वीप से जोड़ने वाला नया पंबन ब्रिज भारत की बेमिसाल इंजीनियरिंग का प्रतीक बनकर उभरा है। यह पुल 100 वर्षों से अधिक समय तक सेवा देने वाले ऐतिहासिक पंबन ब्रिज का स्थान ले रहा है। यह परियोजना भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विरासत और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

कहां बन रहा पंबन ब्रिज
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कहां बन रहा पंबन ब्रिज ​

नये पंबन ब्रिज को पुराने पुल के सामानांतर बनाया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसका एक हिस्सा पानी के जहाज और स्टीमर इत्यादि की आवाजाही की जरूरत के लिए ऊपर उठाया जाएगा। यानी पुल के 72 मीटर का हिस्सा 22 मीटर ऊपर लिफ्ट के जरिए उठाया जाएगा, ताकि नीचे से ऊंचे जहाज निकल सकें। 2 किलोमीटर से अधिक लंबे इस पुल को समुद्र पर बनाया गया है जो भारत के वर्टिकल सी ब्रिज के नाम से जाना जाएगा।

पंबन ब्रिज का इतिहास
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​पंबन ब्रिज का इतिहास​

साल 1914 में निर्मित पुराना पंबन ब्रिज भारत का पहला समुद्री पुल था, जिसने तमिलनाडु के मंडपम टाउन को रामेश्वरम द्वीप से कनेक्ट करता है। इसमें एक शेर्ज़र रोलिंग लिफ्ट स्पैन था, जो समुद्री जहाजों इत्यादि को आसानी से गुजरने की अनुमति देता था। यह पुल श्रद्धालुओं और व्यापारिक गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण माना जाता था।

नए पंबन ब्रिज का इतिहास
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​नए पंबन ब्रिज का इतिहास​

100 वर्षों से अधिक समय तक सेवा देने के बाद पुराना पुल जंग लगने से जर्जर हालात की ओर बढ़ रहा था। किसी भी अनहोनी की आशंका के चलते और भूकंप, चक्रवात और समुद्री गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए एक नए और अधिक टिकाऊ पुल का निर्माण की कवायत शुरू की गई थी, जिसे अंतिम रूप दिया जा चुका है। रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) को इस महत्वाकांक्षी परियोजना को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी दी गई। आरवीएनएल की टीम ने इसे सिर्फ एक रिप्लेशमेंट नहीं बल्कि आधुनिक पुल निर्माण का नया मील का पत्थर बनाने की दिशा में कार्य किया।

नए पंबन ब्रिज की विशेषताएं
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​नए पंबन ब्रिज की विशेषताएं​

वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट समुद्री रेल पुल, जिसमें 72 मीटर का केंद्रीय भाग 22 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है, जिससे बड़े समुद्री जहाज आसानी से गुजर सकते हैं। इस पुल पर ट्रेनें 98 किमी/घंटा की गति से चल सकती हैं, जिससे यात्रा समय में काफी कमी आएगी। 25 टन प्रति एक्सल लोड क्षमता से यह माल और यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए उपयुक्त है।

पंबन पुल की लागत
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​पंबन पुल की लागत​

531 करोड रुपये की लागत से तैयार किए गए पुल पर उच्च गुणवत्ता वाली जंग-प्रतिरोधी सामग्री, विशेष कोटिंग और समुद्री जल से बचाव के लिए स्ट्रक्चर में सुधार किए गए हैं। यह पुल चक्रवात और भूकंप रोधी तकनीकों से निर्मित किया गया है, जिससे यह प्रतिकूल मौसम में भी सुरक्षित रहेगा। पुल में सेंसर और स्वचालित प्रणाली लगाई गई हैं, जिससे संरचनात्मक स्थिति की निगरानी और त्वरित मरम्मत संभव हो सकेगी।

गोल्डन गेट ब्रिज से पंबन ब्रिज कितना अलग
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​गोल्डन गेट ब्रिज से पंबन ब्रिज कितना अलग?​

यह पुल भविष्य में दोहरी रेल लाइनों के लिए भी सक्षम है और पूर्ण रूप से विद्युतीकृत है। इस पुल की तुलना विश्व के प्रतिष्ठित पुलों जैसे गोल्डन गेट ब्रिज (अमेरिका), टॉवर ब्रिज (लंदन) और ओरेसंड ब्रिज (डेनमार्क-स्वीडन) से की जा सकती है। यह न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का उदाहरण है, बल्कि भारत की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमताओं का प्रमाण भी है। समुद्री तूफान, ऊंची लहरें और कठोर जलवायु परिस्थितियां इस पुल के निर्माण में प्रमुख बाधाएं थीं। भारी सामग्री के परिवहन और संकीर्ण समुद्री खिड़कियों के भीतर कार्य करने की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए परियोजना को पूरा किया गया। 1400 टन से अधिक सामग्री की स्थापना और 99 गिर्डर्स तथा ट्रैक बिछाने का कार्य बिना किसी दुर्घटना के सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।

पंबन ब्रिज बनेगा रोजगार का साधन
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​पंबन ब्रिज बनेगा रोजगार का साधन​

पंबन ब्रिज के निर्माण से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। अब रामेश्वरम जाने वाले तीर्थयात्रियों को अब अधिक सुरक्षित, तेज़ और सुगम यात्रा का अनुभव मिलेगा। पुल का अनोखा डिज़ाइन इसे एक प्रमुख आकर्षण बनाएगा, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। माल ढुलाई की दक्षता में वृद्धि होगी, जिससे व्यापारिक गतिविधियां तेज़ होंगी और स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा। यह पुल न केवल रामेश्वरम और तमिलनाडु के लोगों के लिए जीवनरेखा बनेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रगति, कनेक्टिविटी और समृद्धि का प्रतीक भी होगा। यह परियोजना भारत के उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और भविष्य में ऐसे कई और आधुनिक परियोजनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।

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