प्रयागराज में है भीष्म पितामह का इकलौता मंदिर, कुम्भ स्नान के लिए आएं तो यहां जरूर आएं
महा कुम्भ 2025 में अब कुछ ही दिन बचे हैं। आप भी इस बार महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने आ रहे हैं तो हम आपको प्रयागराज के कुछ ऐसे राज लगातार बता रहे हैं, जहां आप अपने प्रयाग दौरे के दौरान आ सकते हैं। ऐसी ही एक जगह है भीष्म पितामह का मंदिर। यह भीष्म पितामह का दुनिया में इकलौता मंदिर है। प्रयाग आएं तो एक बार इस मंदिर में जरूर आएं।
कहां पर है भीष्म पितामह का मंदिर
महाभारत के समय बल और बुद्धि के पर्याय भीष्म पितामह का यह मंदिर कुम्भ नगरी प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे दारागंज में नाग वासूकी मंदिर के मुख्य द्वार पर है।
विशालकाय प्रतिमा
नाग वासूकी मंदिर के मुख्य द्वार के पास भीष्म पितामह की विशालकाय प्रतिमा बनी हुई है। माना जाता है कि यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। दीपावली और पितृ पक्ष में विशेष तौर पर श्रद्धालु दीप जलाने आते हैं।
कैसी है प्रतिमा
मंदिर परिसर में भीष्म पितामह की प्रतिमा लेटे हुए है। कुरुक्षेत्र के मैदान में जब अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शय्या पर लिटा दिया था, वही प्रतिमा इस मंदिर में बनाई गई है।
प्रतिमा की खास बात
कहा जाता है कि भीष्म पितामह की 12 फीट लंबी प्रतिमा में जो लोहे के तीर लगे हैं उनसे आज भी लगातार खून निकलता निकलता रहता था। प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों ने हजारों साल पहले इस मंदिर की स्थापना की थी।
प्रतिमा से निकलता था खून
यहां के पुरोहितों के अनुसार पहले प्रतिमा से खून रिसता रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
भीष्म अष्टमी पर आते हैं श्रद्धालु
भीष्म अष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु यहां पर विशेष पूजा-अर्चना करने आते हैं।
आधुनिक मंदिर कब बना
यहां पर आधुनिक मंदिर का निर्माण हाई कोर्ट के वकील जेआर भट ने करवाया, जिसका काम 1961 में पूरा हुआ। एक महिला यहां रोज गंगा में डुबकी लगाने आती थी, उन्हीं की रिक्वेस्ट पर इस मंदिर का निर्माण हुआ।
दही के साथ भूलकर भी न खाएं ये 4 चीजें, एक साथ मिलकर बन जाती हैं जहर, पेट में जाते ही बनाते हैं बीमार
GHKKPM 7 Maha Twist: भाग्यश्री के चक्कर में आशका संग फेरे लेगा रजत, सालों बाद सवि को मिलेगा मां बनने का सुख
12वीं के बाद करें ये 5 मेडिकल डिप्लोमा कोर्स, मिलेगा तगड़ा पैकेज
युजवेंद्र चहल या धनश्री वर्मा, किसने रिश्ता जोड़ने की तरफ पहला कदम बढ़ाया था
IIT बॉम्बे से पढ़ने के बाद चुनी देश सेवा की राह, इंजीनियर राधिका ने सेना में मेजर बन रचा इतिहास
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited