ये है सिर्फ 45 किमी लंबी देश की सबसे छोटी नदी, जानिए कहां बहती है

हमारा देश नदियों का देश है। नदियों को यहां मां का दर्जा मिला हुआ है। हमारे देश में गंगा-यमुना और गोदवरी, नर्मदा जैसी बड़ी-बड़ी नदियां बहती हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में छोटी-चोटी नदियां भी हैं, जो वहां के जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। क्या आपको देश की सबसे छोटी नदी का नाम पता है? नहीं पता तो कोई बात नहीं, चलिए जानते हैं -

कहां बहती है सबसे छोटी नदी
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कहां बहती है सबसे छोटी नदी

देश की सबसे छोटी नदी सिर्फ 45 किमी लंबी है और यह राजस्थान में बहती है। यह नदी राजस्थान के अरवरी जिले में बहती है। बता दें कि यह नदी अरवरी जिले में पानी का प्रमुख स्रोत है।

नदी का नाम
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नदी का नाम

इस नदी का नाम भी अरवरी जिले के नाम पर अरवरी ही है। इस नदी का बेसिन क्षेत्र 492 स्क्वायर किलोमीटर है। हार्वेस्टिंग तकनीक के चलते कभी मौसमी नदी रही अरवरी नदी में अब हमेशा पानी रहता है।

60 सालों तक सूखी रही नदी
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60 सालों तक सूखी रही नदी

अरवरी नदी 60 सालों तक सूखी रही। 1986 में भनोटा-कोलयाला गांव के लोगों ने सूखी नदी के मुहाने पर मिट्टी का बांध बनाए। यहां सबसे बड़ा बांध 244 मीटर लंबा और 7 मीटर चौड़ा है। ग्रामीणों में 275 बांध बनाए, जिसके बाद नदी में फिर से पानी बहने लगा।

कहां से निकलती है नदी
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कहां से निकलती है नदी

देश की सबसे छोटी नदी अरवरी, राजस्थान के अलवर जिले में थनगाजी में सकरा डैम के पास से निकलती है। नदी के दो उद्गम स्थलों में से एक भैरूदेव पब्लिक वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी और दूसरा अम्का और जोधुला के पास है। यह दोनों धाराएं पलसाना का पहाड़ पर मिलती हैं और फिर अरवरी नदी बनती है।

सनवान और गंभीर नदियां
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सनवान और गंभीर नदियां

अरवरी नदी अरवरी में सैंथल सागर डैम से निकली धारा के साथ मिलकर सनवान नदी बनाती है। आगे चलकर सनवान नदी भी तिलदाह और बनगंगा से मिलकर गंभीर नदी बनाती हैं।

गंगा नदी तक का सफर
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गंगा नदी तक का सफर

गंभीर नदी को ही उतंग नदी के नाम से भी जाना जाता है। यही उतंग या गंभीर नदी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी आकर यमुना नदी में मिलती है और आगे चलकर यमुना नदी प्रयागराज में गंगा में समा जाती है।

ग्रामीणों की कोशिशें
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ग्रामीणों की कोशिशें

जोहड़ बनाने के लिए पहचान बनाने वाले पर्यावरणविद व समाजसेवी डॉ. राजेंद्र सिंह भी इससे जुड़े रहे। साल 2001 में उन्हें मैगसैसे अवॉर्ड से नवाजा गया। अरवरी बेसिन में रहने वाले 70 गांवों में 1998 अरवरी रिवर पार्लियामेंट बनाई और नदी को साफ व स्वस्थ रखने के की कसम खायी।

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