Photos: बीटिंग रिट्रीट क्या है, पहली बार कब हुई थी ये सेरेमनी, जानें गणतंत्र दिवस के बाद ही क्यों होता है आयोजन

भारत में हर साल गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी को बीटिंग द रीट्रीट समारोह का आयोजन होगा। यह सेरेमनी दिल्ली में विजय चौक पर आयोजित होती है। जिसमें देश की नौसेना, थल सेना और वायु सेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। आज हम आपको बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के इतिहास के बारे में बताएंगे और भारत में इसकी शुरुआत के बारे में भी बताएंगे।​

29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
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29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी

हर साल गणतंत्र दिवस के बाद बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। गणतंत्र दिवस के बाद तीसरे दिन 29 जनवरी की शाम को बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन होता है। इसी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह समाप्त हो जाता है। लेकिन बीटिंग रिट्रीट समारोह क्या होता है और इसे गणतंत्र दिवस के बाद क्यों मनाया जाता है, आइए जानते हैं।और पढ़ें

बीटिंग रिट्रीट क्या होता है
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बीटिंग रिट्रीट क्या होता है?

गणतंत्र दिवस के समापन समारोह को बीटिंग द रिट्रीट कहते हैं। बीटिंग द रिट्रीट शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से सेना के लिए किया जाता है। दरअसल सेना का अपने बैरक में लौटने के प्रतीक को बीटिंग द रिट्रीट माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब सेनाएं युद्ध समाप्त करके शाम को लौटती थी और वापस लौटने के बाद अपने अस्त्र-शस्त्र को उतार कर रखती थी, तो इस दौरान झंडे नीचे उतार दिए जाते थे। इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है।और पढ़ें

भारत में कब हुई शुरुआत
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भारत में कब हुई शुरुआत

भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। जब भारत में पहली बार बीटिंग द रिट्रीट समोरोह का आयोजन हुआ था, तब इसके दो कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। पहला दिल्ली के रीगल मैदान के सामने स्थित ममैदान और दूसरा प्रोग्राम लालकिले में किया गया था। उस समय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बीटिंग रिट्रीट के स्वदेशी रूप के समारोह की कल्पना की थी। इस समारोह को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आयोजित कराया था। तब से गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन हर साल इस सेरेमनी का आयोजन हो रहा है। और पढ़ें

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी कैसे होती है
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बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी कैसे होती है?

दिल्ली में विजय चौक पर हर साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें भारत की नौसेना, थल सेना और वायु सेना तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। राष्ट्रपति भवन के सामने रायसीना रोड पर इस समारोह का प्रदर्शन होता है। इस सेरेमनी में राष्ट्रपति चीफ गेस्ट के रूप में शामिल होते हैं। बीटिंग रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है।और पढ़ें

बीटिंग रिट्रीट का इतिहास
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बीटिंग रिट्रीट का इतिहास

बीटिंग रीट्रीट का इतिहास इंग्लैड से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में इंग्लैड से हुई थी। उस समय इंग्लैड के किंग जेम्स द्वितीय ने अपने सैनिकों को जंग खत्म होने के बाद की घोषणा करने के लिए ड्रम बजाने, झंडे को नीचे और एक परेड आयोजित करने का आदेश दिया था। इस समय सैनिक युद्ध को बंद करने अपने हथियारों को रख दिया करते थे। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को उस समय वॉच सेटिंग कहते थे।और पढ़ें

इन देशों में भी होती है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
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इन देशों में भी होती है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी

सशस्त्र बलों द्वारा इस तरह की सेरेमनी का आयोजन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी होता है। इन देशों में कनाडा, न्यूजीलैंड, यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया आदि देश शामिल हैं।

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