इस शहर को कहते हैं बिहार का दार्जिलिंग, नहीं सुना होगा नाम

Darjeeling of Bihar: दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल का बेहद ही खूबसूरत जिला है। दार्जिलिंग अपनी खूबसूरती और चाय बागान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि बिहार में भी एक दार्जिलिंग है, तो क्या आप यकीन करेंगे। शायद आप विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन यह सच है। बिहार में भी एक शहर है, जो अपनी खूबियों की वजह से बिहार का दार्जिलिंग कहलाता है। जानिए, आखिर वह कौन सा शहर है।

बिहार का दार्जिलिंग
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बिहार का दार्जिलिंग

पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग शहर खासकर चाय बागान के लिए जाना जाता है। दार्जिलिंग की चाय पूरी दुनिया में मशहूर है। इसी तरह बिहार का एक शहर है, जो बिहार का दार्जिलिंग कहलाता है। जब आप इस शहर को देखेंगे तो कहीं से भी आपको यह शहर दार्जिलिंग से कम नहीं लगेगा।

पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार
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पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार

हम जिस शहर की बात कर रहे हैं वह बिहार का दार्जिलिंग तो कहलाता ही है। साथ ही साथ उसे पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह शहर पूर्वोत्तर भारत की तरफ जाने लिए अहम है। इसी शहर से होकर आप पूर्वोत्तर भारत की तरफ जाएंगे, जिस वजह से इसे पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है।

कौन सा शहर
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कौन सा शहर?

दरअसल, हम बिहार के किशनगंज जिले की बात कर रहे हैं। किशनगंज जिले में बड़े स्तर पर चाय की खेती होती है। यहां चाय बागान होने की वजह से इसे बिहार का दार्जिलिंग कहा जाता है। किशनगंज में 1992 से चाय की खेती होती आ रही है और दिन प्रतिदिन खेती का स्तर बढ़ता ही जा रहा है।

कब हुई चाय बागान की शुरुआत
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कब हुई चाय बागान की शुरुआत?

कहा जाता है कि किशनगंज में 1992 में केवल पांच एकड़ में चाय की खेती शुरू हुई थी, जो अब बढ़कर करीब 10 हजार एकड़ तक पहुंच गया है, जिस वजह से इसे बिहार का दार्जिलिंग कहा जाता है। इसके अलावा यह जिला सिलीगुड़ी से काफी नजदीक है, तो यहां का मौसम भी काफी शानदार रहता है।

बड़े स्तर पर होती है चाय की बागानी
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बड़े स्तर पर होती है चाय की बागानी

बता दें कि किशनगंज में चाय की खेती बढ़ते देखकर जिले में अब नौ निजी और एक सरकारी टी प्रोसेसिंग प्लांट चल रहे हैं। वर्तमान में इससे करीब पांच हजार किसान जुड़े हैं, जो चाय की खेती करते हैं।

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