बच्चों को स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है, जानें भारत और बाकी देशों में क्या हैं नियम

Age criteria for school admissions: भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार कक्षा 1 में 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं होना चाहिए। इस फैसले के बाद इंटरनेशनल स्टडी में एडमिशन की उम्र को लेकर बहस शुरू हो गई है। आइये जानते हैं कि बच्चों को स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है और भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में क्या प्रावधान है।

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भारत में नियम

भारत में शिक्षा मंत्रालय ने क्लास 1 में एडमिशन के लिए उम्र तय कर दी है। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि स्कूल शुरू करने की उम्र 6 साल ही होनी चाहिए।

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क्या है नियम

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (National Education Policy) में इस बात का जिक्र किया गया है। इस फैसले के बाद इंटरनेशनल स्टडी में एडमिशन की उम्र को लेकर बहस शुरू हो गई है। आइये जानते हैं कि बच्चों को स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है और भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में क्या प्रावधान है।

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क्या कहती है रिपोर्ट

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी कहती है कि जो पैरेंट्स बच्चे को देर से स्कूल में एडमिशन दिलाते हैं, उनकी परफॉर्मेंस ज्यादा बेहतर होती है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 7 या 11 साल बच्चों का सेल्फ कंट्रोल बढ़िया रहता है।

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नई शिक्षा नीति

भारत की नई शिक्षा नीति 2020 में के प्रावधानों में 3 साल से लेकर 6 साल तक की उम्र तक प्री स्कूलिंग, 6 साल तक प्ले ग्रुप, नर्सरी और केजी की कक्षाएं शामिल है। आप 3 साल की उम्र में बच्चे का एडमिशन नर्सरी में करा सकते हैं और 6 वर्ष की उम्र में कक्षा एक में प्रवेश की अनुमति है।

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दुनिया के देशों में नियम

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के स्कूल जाने की उम्र 6 साल है। नॉर्वे में बच्चों के स्कूल जाने की न्यूनतम उम्र 6 साल है। ब्रिटेन में 3 साल के बाद प्री स्कूलिंग शुरू करते हैं, जबकि 5 साल की उम्र में कक्षा-1 में जाते हैं। फ्रांस में बच्चे स्कूल जाना 3 साल की उम्र से शुरू कर देते हैं।

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यूरोप में उम्र

यूरोप के हंगरी में 3 साल में बच्चे स्कूल जाने लगते हैं। स्विट्जरलैंड, नॉर्दर्न आयरलैंड और लक्जमबर्ग में बच्चों के स्कूल जाने की उम्र 4 साल है। बुल्गारिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, लिथुआनिया, सर्बिया और स्वीडन में स्कूल जाने की उम्र 7 साल है।

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 2022 को टिप्पणी करते हुए कहा था कि साइकोलॉजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बहुत छोटी उम्र में बच्चों को स्कूल भेजना उचित नहीं।