मिलिए IAS अधिकारी रितिका जिंदल से, जानें यूपीएससी क्रैक करने के लिए कब से शुरू कर दी थी पढ़ाई

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा को भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, हर साल लाखों इच्छुक IAS उम्मीदवार इस परीक्षा को पास करके सिविल सेवा में जगह बनाने का लक्ष्य रखते हैं। यह कहानी पंजाब की रहनी वाली रितिका जिंदल नाम की लड़की की है, जिसने IAS अधिकारी बनने के लिए जीतोड़ मेहनत की, और कई बाधाओं को पार करके 88 रैंक के साथ सफलता पाई।

Ritika Jindal ने IAS बनने के लिए कब से शुरू की तैयारी
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Ritika Jindal ने IAS बनने के लिए कब से शुरू की तैयारी

बचपन से ही Ritika Jindal IAS में शामिल होने की इच्छा रखती थीं और उन्होंने कॉलेज के दौरान ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी थी। स्नातक के बाद, जब उन्होंने पहली बार UPSC परीक्षा में भाग लिया तो तीनों चरणों में सफलता हासिल कर ली, लेकिन कुछ अंकों से अंतिम सूची में स्थान पाने से चूक गईं। लेकिन कहते हैं, निराश होने से क्या होगा, गिरकर फिर खड़े होने वाला ही मंजिल पाएगा।

Ritika Jindal Education Qualification
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Ritika Jindal Education Qualification

Ritika Jindal, जिन्होंने मोगा, पंजाब में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। Ritika Jindal ने उत्तर भारत में CBSE कक्षा 12 की परीक्षा में टॉप किया। उन्होंने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अपनी कक्षा में 95 प्रतिशत अंक प्राप्त करके तीसरा स्थान प्राप्त किया।

कोशिशों से मिलती है सफलता
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कोशिशों से मिलती है सफलता

2018 में अपने दूसरे प्रयास में, Ritika Jindal ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की, मात्र 22 वर्ष की आयु में 88वीं रैंक प्राप्त करके सबको दिखा दिया कि कोशिशें ही सफल बना सकती हैं, अंतर केवल इतना है कि कुछ लोगों को ज्यादा कोशिश करनी पड़ सकती है जबकि कुछ को कम।

चुनौतीपूर्ण रही राह
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चुनौतीपूर्ण रही राह

आईएएस अधिकारी बनने की रितिका की राह चुनौतीपूर्ण थी। यूपीएससी की तैयारी के दौरान, उनके पिता को मुंह के कैंसर का पता चला और कुछ ही समय बाद, उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो गया। इन परिस्थितियों के बीच रहने के बावजूद, रितिका ने अपनी तैयारी जारी रखी।

रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में दे रही सेवा
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रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में दे रही सेवा

उन्होंने कहा था “मैं बहुत सीमित संसाधनों वाले एक छोटे शहर से हूं। जब भी मेरे पिता अस्वस्थ होते थे, तो हमें उन्हें इलाज के लिए लुधियाना ले जाना पड़ता था और मुझे उनके साथ अस्पताल जाना पड़ता था।” जब रितिका को चंबा के पांगी के सुदूर क्षेत्र में पोस्टिंग की पेशकश की गई, तो उन्होंने स्वीकार कर लिया। रितिका अब पांगी में रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में कार्य करती हैं।

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