ऑटो चालक की बेटी ने रचा इतिहास, NEET परीक्षा टॉप करने के पीछे बताया ये कारण

गुजरात के एक कम आय वाले परिवार की एक छात्रा ने अपने दूसरे प्रयास में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, NEET पास कर दिखाया। गौरतलब है कि एनईईटी एक मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट है, जिसके स्कोर के आधार पर आपको मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन के लिए कॉलेज मिलता है। इसे भारत की कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। आज की कहानी रूबी प्रजापति की है, जिनका सफर ये बताता है कि आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तो आती जाती रहती हैं, लेकिन कैसे डटकर खड़े रहने से मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।

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ऑटो चालक की बेटी ने रचा इतिहास

रूबी के पिता एक ऑटोरिक्शा के चालक थे और उनकी मां पशुपालन में काम करती थीं। उन्होंने रूबी को उसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत सपोर्ट दिया, पैसे से सपोर्ट देने के साथ साथ मानसिक रूप से भी जमकर सपोर्ट किया।

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सबसे बड़ा मोटिवेशन

मां बाप की सच्ची भावना की कदर करते हुए रूबी ने अपने लक्ष्य को एक दिन एक घंटा भी नहीं भूलने दिया। मां बात का भरोसा सबसे बड़ा मोटिवेशन है किसी छात्र को उसके मंंजिल तक पहुंचाने के लिए। खैर, रूबी अपने समुदाय की सेवा करना चाहती थीं, इसलिए वे चिकित्सा क्षेत्र में करियर बनाना चाहती थीं।

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छोटे भाई की मौत

रूबी ने नीट परीक्षा पास करने से नौ साल पहले अपने छोटे भाई की मृत्यु देखी थी और उसके बड़े भाई को बोलने में दिक्कत थी, जिसने उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। इन अनुभवों ने उसे और अधिक दृढ़ बनाया। जहां लोग इन बातों से हारकर बैठ जाते हैं, वहीं रूबी ने अपने इरादे और पक्के कर लिए।

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पहली बार में हुईं फेल

अपनी कोचिंग के पहले साल में रूबी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं, वे फेल हो गईं। लेकिन यहां से उसने केवल अपनी कमी को समझा जाना, नोट किया उन पर काम किया, उसे सुधारा और रणनीति बनाकर पढ़ाई जारी रखी। इन कदमों ने रूबी को उसके दूसरे प्रयास में नीट परीक्षा पास करने में अहम भूमिका निभाई।

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कुछ नहीं मिलता आसानी से

ये कोई ज्ञान की बात नहीं लेकिन किसी न किसी तरह की समस्याएं बनी रहती हैं, सभी के सामने अलग अलग चुनौतियां रहती हैं, रूबी की कहानी बताती है कि लक्ष्य तक जाना है तो हर समस्या को एक एक करके सामना करना होगा, क्योंकि कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। रूबी ने जीतोड़ मेहनत करके 635/720 अंक प्राप्त किए थे।