Chandra Grahan 2024: चंद्र ग्रहण के वैज्ञानिक कारण क्या है? जानें कब और कैसे लगता है
आज यानी 18 सितंबर 2024 को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण है, अवधि 4 घंटे 4 मिनट की होगी। इस ग्रहण की शुरुआत सुबह 6 बजकर 12 मिनट से हो गई है। ऐसी खगोलीय घटनाएं प्रतियोगिता परीक्षाओं में General Knowledge और करेंट अफेयर्स का हिस्सा बन जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण कब और कैसे लगता है और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण होते हैं?
चंद्र ग्रहण 2024
आज यानी 18 सितंबर 2024 की सुबह 6 बजकर 12 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो गया है। इस ग्रहण में चांद पर धूल की एक पट्टी सी नजर आएगी जिसे देख पाना कठिन होगा। इस ग्रहण को अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्से में देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा।
क्यों लगता है चंद्र ग्रहण?
खगोलीय विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य सूर्य के उपस्थित होने के चलते चंद्रग्रहण लगता है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सीधे सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुजरती है,जिससे धीरे-धीरे चंद्र सतह को ढक लेती है और अंधेरा कर देती है।
कैसे होता है चंद्र ग्रहण?
सूर्य की परिक्रमा के दौरान जब पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में आ जाती है तब पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चांद छिप जाता है। चांद का हिस्सा अंधकारमय हो जाता है जिसे ग्रहण कहा जाता है।
क्या है वैज्ञानिक कारण?
साइंस के छात्र इन खगोलीय घटनाओं पर खास नजर रखते हैं। ग्रहण तब होता है जब एक खगोलीय पिंड दूसरे से आने वाले प्रकाश को अवरुद्ध करता है। चंद्र ग्रहण में, चंद्रमा सूर्य द्वारा डाली गई पृथ्वी की छाया में चला जाता है।
इस साल कितने चंद्र ग्रहण लगे?
इस साल कुल दो चंद्र ग्रहण लगने हैं, जिसमें से पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 को लग चुका है। वहीं, दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को लगा है। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है।
चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?
चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं।आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पूरे चंद्रमा की सतह पर धरती की छाया पड़ती है। आंशिक चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब चांद का एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है।
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