IIT JEE Success Story: किसान के बेटे ने रचा इतिहास, रोज किया प्राणायाम और 10 घंटे की पढ़ाई, पढ़ें जेईई मेंस टॉपर की सक्सेस स्टोरी

मिलिए महाराष्ट्र के वाशिम जिले के नीलकृष्ण गजरे से, एक ऐसा छात्र जिसने हर दिन 10 घंटे की पढ़ाई की क्योंकि उसका लक्ष्य साफ था, जेईई मेंस अच्छे से अच्छे नंबरों के साथ पास करना। लक्ष्य को पाने की यदि ठान लिया, तो समय का मुंह क्यों देखना? आपने भी ये पंक्ति सुनी होगी 'उठो जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए' नीलकृष्ण गजरे ने बताया वे तैयारी के दौरान समय नही देखते थे, बस मन से पढ़ाई किया करते थे, इसके अलावा वे कठिन सवालों पर ज्यादा ध्यान देते थे।

जेईई मेंस टॉपर नीलकृष्ण गजरे ने बताया पढ़ने का तरीका
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जेईई मेंस टॉपर नीलकृष्ण गजरे ने बताया पढ़ने का तरीका

नीलकंठ ने जेईई मेन्स परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर यह साबित कर दिया कि मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है। नीलकंठ एक साधारण परिवार वाले बैकग्राउंड से आते हैं। नीलकंठ की पढ़ाई की शुरुआत अकोला के राजेश्वर कॉन्वेंट और वाशिम जिले के जे. सी. हाई स्कूल, करंजा लाड से हुई। पढ़ाई के दौरान वे अपनी चाची के साथ रहते थे। शुरू से ही नीलकंठ पढ़ाई में अव्वल थे, लेकिन उनकी रुचि सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं थी। वे खेलकूद में भी उतने ही सक्रिय थे। उन्होंने जिला और राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा साबित की।

अनुशासित दिनचर्या और मेहनत का फॉर्मूला
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अनुशासित दिनचर्या और मेहनत का फॉर्मूला

नीलकंठ की सफलता के पीछे उनकी सख्त दिनचर्या और अनुशासन है। उनके पिता के अनुसार, वे हर दिन सुबह 4 बजे उठते थे और 2 घंटे पढ़ाई करते थे। इसके बाद वे प्राणायाम और मानसिक एकाग्रता के लिए ध्यान लगाते थे। फिर वे सुबह 8:30 बजे से पढ़ाई शुरू करते और रात 10 बजे तक लगातार मेहनत करते। ओउनका मानना है कि प्राणायाम और ध्यान पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखने में बहुत मददगार होते हैं। इस अनुशासित दिनचर्या के कारण ही वे जेईई मेन्स में इतना शानदार प्रदर्शन कर पाए।

आईआईटी बॉम्बे में पढ़ने का सपना
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आईआईटी बॉम्बे में पढ़ने का सपना

नीलकंठ का सपना आईआईटी बॉम्बे में पढ़ाई करके एक वैज्ञानिक बनने का है। वे विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं जिससे देश को आगे बढ़ाने में योगदान दिया जा सके।

परिवार का सहयोग और उम्मीदे
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परिवार का सहयोग और उम्मीदे

नीलकंठ के पिता, निर्मल गजरे, अपने बेटे की सफलता से बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि नीलकंठ सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि जीवन में भी सफल बने। वे हमेशा अपने बेटे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और उसके हर सपने को पूरा करने में पूरी ताकत से साथ देने का वादा करते हैं। नीलकंठ गजरे की सफलता हमें सिखाती है कि सपने हमेशा बड़े देखो और उन्हें पूरा करने के लिए पूरी मेहनत करो। नीलकंठ की मेहनत, आत्मविश्वास और समर्पण से भरी यह कहानी हर छात्र के लिए प्रेरणा है। उनका संघर्ष और सफलता यह साबित करता है कि अगर मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।

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