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दोस्ती यारी, सोशल मीडिया सब किनारे कर 2 बार पास की यूपीएससी, बनीं आईपीएस से आईएएस

मिलिए गरिमा सिंह से, जिन्होंने कड़ी मेहनत से उस मुकाम को दो बार पाया, जिसे एक बार भी पाना ज्यादातर छात्रों के लिए आसान नहीं है। ये कहानी है संघर्ष के पार अपने सपने को जीने वाली गरिमा सिंह की, जिनकी यात्रा जीवन में ढेरो उतार-चढ़ाव रहे, लेकिन मंजिल तक जाने से कोई नहीं रोक पाया। गरिमा सिंह कभी डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन आज वे एक आईएएस अधिकारी हैं।

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दोस्ती यारी, सोशल मीडिया सब किनारे कर 2 बार पास की यूपीएससी, बनीं आईपीएस से आईएएस

आईएएस गरिमा सिंह यूपी के बलिया जिले के कथौली गांव की रहने वाली हैं। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, उन्होंने पढ़ाई को हमेशा गंभीरता से लिया, वे जानती थी कि पढ़ाई व शिक्षा के माध्यम से अच्छे से अच्छी जिंदगी पाई जा सकती है। वे पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहीं हैं, यहां तक कि स्कूल के दिनों में वो टॉप स्टूडेंट में से एक रहीं।

कैसे चुनी सिविल सेवा कैसे चुनी सिविल सेवा
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कैसे चुनी सिविल सेवा

गरिमा के पिता इंजीनियर हैं, लेकिन गरिमा शुरू से डॉक्टर बनना चाहती थीं, हालां​कि पिता (ओंकार सिंह) चाहते थे कि उनकी बेटी आईएएस बने, इसलिए गरिमा सिंह ने सिविल सेवाओं की ओर रुख किया।

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जब बनीं आईपीएस से आईएएस

2012 में, उन्होंने पहली बार सिविस सेवा की परीक्षा दी और बतौर IPS अधिकारी उनका चयन हो गया। चूंकि पिता का सपना आईएएस अधिकारी का था, ऐसे में गरिमा ने कोशिशों को जारी रखा, नौकरी करते हुए गरिमा ने एक बार फिर से यूपीएससी परीक्षा दी और इस बार उनका चयन IAS के लिए हो गया। उनकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर IAS 2016, Jharkhand लिखा है।

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गरिमा सिंह की पढ़ाई लिखाई

स्कूलिंग के बाद गरिमा दिल्ली आ गईं और सेंट स्टीफंस कॉलेज से उन्होंने बीए और MA इतिहास की डिग्री हासिल की।