बेटे के छुए पैर, मृत्यु बना रहस्य... जानें लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी खास बातें

Lal Bahadur Shastri Jeevan Parichay in Hindi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री को छात्रों का आदर्श कहना गलत नहीं होगा। बेहद साधारण जीवन व्यतीत करने वाले की असाधारण मृत्यु शास्त्री जी को जन-जन से जोड़ती है। आइए जयंती के अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी खास बातों पर नजर डालते हैं।

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2 अक्टूबर को जन्म

महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी के करीब मुगलसराय में हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री को देश के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर याद किया जाता है।

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कायस्थ परिवार में जन्म

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शरद प्रसाद श्रीवास्तव था जो एक स्कूल में शिक्षक थे। उनकी माता का नाम रामदुलारी देवी थी। उनकी शुरुआती पढ़ाई वाराणसी के भारतेंदु हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापिठ से उच्च शिक्षा लिया। उन्हें काशी विद्यापीठ वाराणसी से शास्त्री की उपाधि हासिल हुई थी, जो उनका उपनाम बन गया।

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आजादी की लड़ाई में शामिल

लाल बहादुर शास्त्री ने साल 1930 में गांधी जी के नमक सत्याग्रह में भाग लिया और दो साल से अधिक समय तक जेल में रहे। इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़कर वो देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी में शामिल हो गए। वो महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के बेहद करीब रहे।

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बने देश के दूसरे प्रधानमंत्री

साल 1964 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री जी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। हालांकि, इस बीच 13 दिन के कार्यकारी प्रधानमंत्री के तौर पर गुलजारी लाल नंदा ने सत्ता संभाली थी। शास्त्री जी 1 साल 216 देश के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंन 1965 की जंग में पाकिस्तान को घुटने टेकवा दिए थे।

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शास्त्री जी ने क्यों बेटे के छुए पैर

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री एक किस्सा सुनाते हैं कि जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने अपने बेटे बुलाया और कहा- मैनें देखा है कि जब आप बड़ों के पैर छूते हैं तो आपके हाथ सिर्फ घुटनों तक ही जाते हैं। इसपर अनिल शास्त्री ने इनकार कर दिया। इसके बाद शास्त्री जी ने अपने बेटे के पैर छुए अगर इसी तरह पैर छूते हैं तो हो सकता है मेरे देखने में कोई गलती हुई हो।

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प्रधानमंत्री आवास में खेती

लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने अपने प्रधानमंत्री आवास पर ही खेती करनी शुरू कर दी थी। इस दौरान उनके द्वारा दिया गया जय जवान-जय किसान का नारा विश्वभर में मशहूर हो गया। वो बतौर प्रधानमंत्री अपना जीवन वेतन और भत्ते के से गुजारा करते थे। उन्होंने किसी भी सरकारी सेवा का लाभ लेने से मना कर दिया था।

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मृत्यु बना रहस्य

पाकिस्तान से जंग जीतने के बाद लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद सम्मेलन में हिस्सा लेने गए थे। इस दौरान उनकी अचानक मृत्यु हो गई। हालांकि, उनकी मौत के पीछे कई कहानियां और राज छिपे हुए हैं। कई लोगों का मानना है कि उनकी हत्या की गई थी। उन्हे देश के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के तौर पर याद किया जाता है।