17500 रुपये फीस न जमा कर पाने से कैंसल हुआ था एडमिशन, SC के ऑर्डर के बाद अब IIT धनबाद में पढ़ेगा अतुल कुमार

मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के एक छात्र अतुल कुमार आईआईटी में एडमिशन के लिए 17,500 रुपये नहीं जुटा पाए, जिसके ​चलते उसका एडमिशन कैंसिल हो गया, यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा, जहां यह फैसला आया कि इस छात्र को आईआईटी धनबाद में एडमिशन दिया जाएगा। इसके अलावा अतुल कुमार को छात्रावास सहित सभी सुविधाएं भी दी जाएंगी। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि जो छात्र आईआईटी धनबाद में दाखिला ले चुके हैं, उनके एडमिशन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि अतुल कुमार को अतिरिक्त सीट पर एडमिशन दिया जाएगा।

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कौन है अतुल कुमार, क्या था मामला

यूपी के अतुल कुमार आईआईटी में एडमिशन चाहते थे, वे योग्य भी हैं, लेकिन पैसे की सीमा बाधा बनकर सामने खड़ी हो गई, मात्र 17500 रुपये एडमिशन फीस के नाम पर अतिरिक्त नहीं जुटा पाए, इसकी वजह थी परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होना।

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सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा मामला

अतुल कुमार की ओर से केस लड़ा गया, इस दौरान दलील दी थी कि आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित होने के बाद फीस जमा करने के लिए उन्हें चार दिन मिले थे। छात्र दिए गए वक्त में 17,500 रुपये की फीस का इंतजाम नहीं कर पाया, क्योंकि पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, क्या ऐसे में प्रतिभाशाली छात्र का करियर रुक जाना चाहिए।

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प्रतिभाशाली छात्र अतुल कुमार

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अतुल कुमार जैसे प्रतिभाशाली छात्र को दाखिले के लिए नहीं रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि फीस जमा करने की समय सीमा समाप्त होने पर छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता बल्कि उसे एडमिशन मिलना ही चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था मदद का भरोसा

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में छात्र को मदद का भरोसा दिया था और कोर्ट ने आईआईटी मद्रास के साथ-साथ जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथोरिटी को भी नोटिस भेजा था।

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इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की मिली सीट

आईआईटी धनबाद में एडमिशन के लिए राउंड वन अलॉटमेंट में अतुल कुमार को इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की सीट मिली थी। अतुल ने डॉक्यूमेंट तो समय पर सबमिट कर दिए थे, लेकिन फीस नहीं जुटा पाए, जिसके चलते उनका एडमिशन रद्द हो गया। फिर यह मामला झारखंड हाई कोर्ट ले गए, लेकिन वहां उनका काम नहीं बना। फिर मद्रास हाई कोर्ट में अपना केस फाइल किया, वहां से भी फायदा नहीं हुआ, उल्टा अतुल के वकील को केस वापस लेने का सुझाव दे डाला, जिसके बाद अतुल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और 30 सितंबर को छात्र को जीत मिली।