मिलिए Ritika Tirkey से, जो फर्राटे से दौड़ा रही वंदे भारत, बनीं पहली ट्राइबल असिस्टेंट लोको पायलट

झारखंड के आदिवासी समुदाय की 27 वर्षीय रितिका तिर्की वंदे भारत चलाने वाली पहली ट्राइबल असिस्टेंट लोको पायलट हैं। वे टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस चलाती हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एक्सप्रेस का वर्चुअल उद्घाटन किया था। उन्होंने 2019 में दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के चक्रधरपुर डिवीजन में एक शंटर के रूप में अपनी रेलवे यात्रा शुरू की, और बाद में माल और यात्री ट्रेनों को चलाया। जानें कितनी पढ़ी लिखी हैं Ritika Tirkey

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कौन हैं Ritika Tirkey जो फर्राटे से दौड़ा रही वंदे भारत

माल और यात्री ट्रेनों को चलाने के बाद वरिष्ठ सहायक लोको पायलट के पद पर पदोन्नति के साथ उनका करियर आगे बढ़ा, इसके बाद उन्हें वंदे भारत एक्सप्रेस के संचालन में सहायता करने का अवसर मिला।

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मील का पत्थर

गौरतलब है कि रेलवे भी उन सेक्टर्स में से एक है, जो पुरुष प्रधान है, ऐसे में बतौर लड़की Ritika Tirkey ने न केवल अपना, अपने परिवार का, अपने समुदाय या राज्य का बल्कि सारी महिला जाति का नाम रौशन किया।

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Ritika Tirkey Education Qualification

Ritika Tirkey ने बीआईटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।

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महिलाओं की क्षमता का प्रतिनिधित्व

एक छोटे से आदिवासी समुदाय या गांव से आने वाली रितिका तिर्की भारत की सबसे प्रतिष्ठित ट्रेनों में से एक वंदे भारत को चलाने में असिस्ट कर रही हैं, ये कोई छोटी बात नहीं। देखा जाए तो वे तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

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कहां से हैं रितिका

Ritika Tirkey का गांव गुमला में हैं, उनकी परिवार रांची में रहता है। रितिका के परिवार में माता-पिता और चार भाई-बहन हैं। रितिका ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची से की, और 2019 में भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में नौकरी शुरू की, आज वे वंदे भारत में असिस्टेंट लोको पायलट हैं।