नालंदा विश्वविद्यालय में क्यों लगाई थी खिलजी ने आग, 6 महीने तक जलती रही थीं किताबें
Nalanda University History: भारत शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र रहा है। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय ने शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान की बारीकियां दुनिया को सिखाई हैं। प्राचीन मगध साम्राज्य (आधुनिक बिहार) में स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज से भी 600 साल पहले बनी थी लेकिन तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। उसने पूरे विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया।
नालंदा यूनिवर्सिटी
प्राचीन मगध साम्राज्य (आधुनिक बिहार) में स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज से भी 600 साल पहले बनी थी लेकिन तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। उसने पूरे विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया।
नालंदा की खूबी
भारत शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र रहा है। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय ने शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान की बारीकियां दुनिया को सिखाई हैं।
ऐसा था प्राचीन नालंदा
नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय है। गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की 450 ई. में स्थापना की थी। इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था। पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें थीं।
ज्ञान का भंडार नालंदा
दुनिया में नालंदा विश्वविद्यालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता रहा है। यहां धार्मिक ग्रंथ, लिट्रेचर, थियोलॉजी,लॉजिक, मेडिसिन, फिलोसॉफी, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई विषयों की पढ़ाई होती थी। चीन, कोरिया और जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु यहां शिक्षा लेते थे।
खिलजी ने किया तबाह
नालंदा विश्वविद्यालय में 1193 तक पढ़ाई होती थी। तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। इसकी नौ मंजिला लाइब्रेरी में करीब 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं जोकि छह महीने तक जलती रहीं।
ये थी वजह
कुछ इतिहासकार बताते हैं कि खिलजी को लगता था कि इसकी शिक्षाएं इस्लाम के लिए चुनौती हैं। फारसी इतिहासकार मिनहाजुद्दीन सिराज अपनी किताब ‘तबाकत-ए-नासिरी’ में लिखा है कि खिलजी ने पहले तो नालंदा विश्वविद्यालय में इस्लाम की शिक्षा का दबाव डाला और फिर बर्बरता की।
तीन बार झेला आक्रमण
अभिलेखों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को आक्रमणकारियों ने तीन बार नष्ट किया था। साल 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था। नालंदा विश्वविद्यालय ने चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मंगोलिया, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया सहित दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित किया।
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