पहले टीचर, फिर सार्जेंट और फिर दरोगा... पढ़े अफसर बिटिया शगुफ्ता रहमान की सक्सेस स्टोरी

मिलिए शगुफ्ता रहमान से, जो कि बिहार के बेतिया जिले की रहने वाली हैं। आज के समय में ये सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर तैनात हैं। हालांकि ये सब कुछ इतना आसान नहीं रहा लेकिन छात्रों को यह समझना होगा कि आसानी से कुछ मिलता भी नहीं है। शगुफ्ता रहमान एक समय में इंजीनियरिंग करना चाहती थीं, जिसके लिए वे कोटा जाकर रहना चाहती थीं, लेकिन नहीं जा पाईं, पर कहते हैं ना कि तैयारी कभी भी और कही से भी की जा सकती है, इसके बाद शगुफ्ता रहमान ने ग्रेजुएशन के बाद घर से ही बीपीएससी (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन) की तैयारी शुरू कर दी।

शगुफ्ता रहमान की सक्सेस स्टोरी
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शगुफ्ता रहमान की सक्सेस स्टोरी

शगुफ्ता रहमान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बेतिया से की, उनके परिवार में माता-पिता और दो भाई-बहन हैं। जब उन्होंने 12वीं के लिए गणित विषय चुना, लोगों ने कुछ इस तरह से कहा कि लड़की होकर मैथ्स क्यों ले रही, आखिर आगे चलकर शादी ही तो करनी है।

नानी ने दिखाई राह
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नानी ने दिखाई राह

शगुफ्ता रहमान के पड़ोस में एक सरकारी अफसर आते थे, एक दिन शगुफ्ता रहमान की नानी ने शगुफ्ता ने कहा कि तुम्हें भी एक दिन ऐसी ही अफसर बनना है। यह बात शगुफ्ता रहमान के दिमाग में घर कर गई, और बिना किसी कोचिंग के उन्होंने बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली, और आगे की तैयारी के लिए पटना भेज दिया।

गुरू रहमान ने माथे पर लिख दिया बिटिया अफसर बनेगी
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गुरू रहमान ने माथे पर लिख दिया, बिटिया अफसर बनेगी

नवभारत टाइम्स के हिंदी पोर्टल के अनुसार, एक दिन एक डॉक्टर की दुकान पर शगुफ्ता के पिता को गुरू रहमान के बारे में पता चला। वे उनसे मिलने गए और उनसे कहा कि वे अपनी बेटी को और पढ़ाना चाहते हैं और कुछ बड़ा बनाना चाहते हैं, लेकिन पैसों की कमी है, इसके बाद गुरू रहमान ने कहा कि बेटी से कहिए केवल पढ़ाई पर ध्यान दे, पैसे के लिए परेशान न हो। इसके बाद गुरु ने उंगली से शगुफ्ता के माथे पर लिखा दिया, तुम अफसर बनोगी।और पढ़ें

असफल होने पर क्या किया
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असफल होने पर क्या किया

प्रारंभिक परीक्षा के बाद मेंस निकालना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि लेवल भी हार्ड हो जाता है और बहुत अधिक तैयारी का समय भी नहीं मिलता है। प्रारंभिक परीक्षा और मेंस के बीच केवल तीन माह का समय था। ऐसे में एक ही चीज नैय्या पार करा सकती थी, वो थी कड़ी मेहनत। इसके बाद 2013 में इंटरव्यू दिया, लेकिन असफल हुईं, हां निराशा तो हुई होगी, लेकिन सफल होने के लिए हर निराशा के बाद फिर खड़े हो उठना जरूरी होता है।और पढ़ें

पहले टीचर फिर सार्जेंट और फिर दरोगा
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पहले टीचर, फिर सार्जेंट और फिर दरोगा

इसी दौरान शगुफ्ता का शिक्षक भर्ती का रिजल्ट आ गया और उन्होंने टीचर के तौर पर नौकरी पकड़ ली। नौकरी के साथ साथ बीपीएससी की तैयारी की, दुनियादारी छोड़कर दूसरी परीक्षाएं भी दीं। इतनी मेहनत और लगन का नतीजा था, शगुफ्ता का सेलेक्शन बिहार एसएससी के जरिए सार्जेंट पद के लिए हो गया। इसके बाद उन्हें बिहार पुलिस में दरोगा के पद पर भी सेलेक्शन मिल गया।और पढ़ें

इरादे हों मजबूत तो कोई भी मंजिल नहीं मुश्किल
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इरादे हों मजबूत तो कोई भी मंजिल नहीं मुश्किल

कमाल की बात ये थी कि शगुफ्ता रहमान ने न सार्जेंट का पद चुना न दरोगा का, उनके लिए सिर्फ एक चीज मायने रखती थी और वो था उनकी मंजिल। उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी, हां आर्थिक दिक्कतें आईं लेकिन वो सफलता ही क्या जो कड़ी मेहनत के बाद न मिला। 2018 मे उनका बीपीएससी का रिजल्ट आया और आखिरकार शगुफ्ता का सेलेक्शन हो गया। शगुफ्ता रहमान को बिहार सरकार के सेल्स टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर नियुक्ति मिल गई। हालांकि, उनका सेलेक्शन डीएसपी के पद पर हुआ था, लेकिन कुछ दिक्कतों की वजह से उन्हें वहां सेलेक्शन नहीं मिल पाया। अपनी पहली पोस्टिंग के तहत शगुफ्ता मोतीहारी गईं और इसके बाद गोपालगंज में उनका तबादला हो गया। शगुफ्ता ने दिखा दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं।और पढ़ें

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