दोस्तों ने भरी फीस, किसान के बेटे ने रचा इतिहास, राकेश बन गए CA
आज का दौर जहां दोस्तों का ग्रुप पार्टी और क्लब की ओर आकर्षित रहता है वहीं सीए फाइनल क्रैक करने वाले राकेश झा की कहानी इससे बिल्कुल विपरित है। बिहार के एक छोटे से गांव से आने वाले राकेश ने सीए की पूरी पढ़ाई ही अपने दोस्तों के बदौलत पूरी की है। राकेश झा के सीए बनने का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है। आइए उनके सफलता के पीछे के संघर्ष पर एक नजर डालते हैं।
सीए फाइनल का रिजल्ट
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (ICAI) की तरफ से सीए फाइनल का रिजल्ट 26 दिसंबर 2024 को जारी किया गया। जारी रिजल्ट के अनुसार कुल 11500 परीक्षार्थी सीए बन गए हैं। इन्हीं में एक नाम सीए राकेश झा का भी है।और पढ़ें
सरकारी स्कूल से पढ़ाई
राकेश झा मूलरूप से बिहार के दरभंगा जिले के बेनीपुर ब्लॉक के बेलौन गांव के रहने वाले हैं। राकेश के पिता एक साधारण किसान हैं। राकेश के घर का खर्च बहुत मुश्किल से चलता था।शुरू से पढ़ाई में अव्वल राकेश झा की शुरुआती पढ़ाई गांव से ही हुई है। उन्होंने सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की है। राकेश बताते हैं कि गांव के ही एक टीचर मनोज झा ने उन्हें कक्षा 6 से 10वीं तक मुफ्त में शिक्षा दी। और पढ़ें
भागलपुर से पढ़ाई
भागलपुर आकर राकेश ने 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। मारवाड़ी कॉलेज से राकेश झा ने बी कॉम की डिग्री हासिल की। भागलपुर में ही पंकज टंडन सर ने उन्हें सीए की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने 12वीं के साथ सीए की तैयारी शुरू कर दी।और पढ़ें
पहले प्रयास में CPT पास
12वीं के बाद तुरंत ही राकेश ने सीपीटी की परीक्षा पहले प्रयास में ही पास कर ली। इसके बाद वो दिल्ली आ गए। दिल्ली में रहकर उन्होंने सीए इंटर से लेकर फाइनल तक की तैयारी की। अरविंद दुबे एंड एसोसिएशन से आर्टिकलशिप किया। घर की स्थिति ठीक ना होने के बावजूद उनके दोस्तों ने घर का किराया से लेकर कोचिंग की फीस तक में मदद की।और पढ़ें
इन दोस्तों ने दिया साथ
राकेश बताते हैं कि उनके करियर में अगर दोस्त ना होते तो वो कुछ भी हासिल नहीं कर पाते। उनके दोस्त सीए राहुल झा और बुआ के बेटे चंदन झा ने कई बार उनकी फीस भरी है। इसके अलावा रूममेट शुभन और मनीष ने कभी उन्हें पैसे का लोड नहीं लेने दिया। राकेश बताते हैं कि वो कभी भी 5000 रुपये से ज्यादा फीस खुद से नहीं भर पाए। और पढ़ें
सीए फाइनल का फीस
राकेश झा को उनके बुआ के बेटे चंदन झा ने कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वहीं, उनकी दोस्त शिल्पी तिवारी ने हर कदम पर उनका सपोर्ट किया है। राकेश बताते हैं कि सीए फाइनल की फीस शिल्पी ने ही दी थी जो खुद भी सीए फाइनल की स्टूडेंट हैं।और पढ़ें
परिवार ने किया सपोर्ट
राकेश झा के माता-पिता और भाई ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया है। दीदी-जीजा ने हौसला बढ़ाया। राकेश कहते हैं कि दोस्तों और परिवार का विश्ववास ही है जो यह सफलता उन्हें हासिल हुई है। बता दें कि राकेश झा को मई में सीए फाइनल के ग्रुप 1 में और नवंबर सेशन में ग्रुप 2 में सफलता हासिल हुई।और पढ़ें
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