दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनी एयर होस्टेस, आसमान में भरेगी शान से उड़ान

किसी लक्ष्य को दिल से चाहो तो कायनात भी आपकी मदद करती है। आज जानेंगे एक ऐसी कहानी के बारे में जिसमें एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने आसमान में उड़ने का सपना देखा और उसे पूरा किया, शायद इसी ही सपनो की उड़ान कहा गया है, पढ़ें गोपिका गोविंद की सक्सेस स्टोरी

दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनी एयर होस्टेस आसमान में भरेगी शान से उड़ान
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दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनी एयर होस्टेस, आसमान में भरेगी शान से उड़ान

किसी लक्ष्य को दिल से चाहो तो कायनात भी आपकी मदद करती है। आज जानेंगे एक ऐसी कहानी के बारे में जिसमें एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने आसमान में उड़ने का सपना देखा और उसे पूरा किया, शायद इसी ही सपनो की उड़ान कहा गया है, पढ़ें गोपिका गोविंद की सक्सेस स्टोरीगोपिका गोविंद (Gopika Govind) करिम्बाला आदिवासी समुदाय से हैं, अब वे स्टील के पंखों से उड़ान भरेंगी। वाकई उन्होंने अपने सपनों को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश की है।

केरल के साधारण परिवार से हैं गोपिका
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केरल के साधारण परिवार से हैं गोपिका

गोपिका गोविंद केरल के अलकोड़े के पास कावुनकुडी की एसटी कॉलोनी में एक साधारण परिवार में जन्मी थीं। उनके माता-पिता पी. गोविंदन और वी.जी. दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे। वह करिम्बाला आदिवासी समुदाय से आती हैं।

आर्थिक संघर्षों और सीमित अवसर
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आर्थिक संघर्षों और सीमित अवसर

गोपिका गोविंद (Gopika Govind) का बचपन आर्थिक संघर्षों और सीमित अवसरों के बीच झूलता रहा। हालांकि उनके माता-पिता अपनी बेटी को किसी और लाइन में देखना चाहते थे, लेकिन गोपिका गोविंद (Gopika Govind) इतना दिल से एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, कि सभी मुश्किलों ने उनकी कोशिशों के आगे घुटने टेक दिए।

बीएससी की हासिल की डिग्री
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बीएससी की हासिल की डिग्री

गोपिका ने केमेस्ट्री में बीएससी की डिग्री हासिल की, वे शुरू से एयर होस्टेस बनना चाहते थी, इसलिए उन्होंने खुद को भटकने नहीं दिया। जीवन में कितने भी उतार-चढ़ाव देख लिए हों, लेकिन एयर होस्टेस बनने के सपने को हमेशा जिंदा रखा। इसलिए उन्होंने वायनाड के कलपेट्टा स्थित ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया।

पहले इंटरव्यू में हुई फेल
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पहले इंटरव्यू में हुई फेल

वे अपने पहले इंटरव्यू में चयनित नहीं हो पा, लेकिन दूसरे प्रयास में उनका चयन हो गया, और तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद गोपिका ने केबिन क्रू के रूप में अपनी पहली उड़ान भरी। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और अडिग आत्मविश्वास से न केवल अपना सपना पूरा किया, बल्कि अपने समुदाय और राज्य के लिए एक प्रेरणा बन गईं।

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