12वीं में सिर्फ 21 नंबर, साइकिल पर बेचा दूध, फिर IPS बनकर रच दिया इतिहास
कहते हैं इरादे नेक हो और सच्चे लगन से मेहनत की जाए तो सफलता जरूर हासिल होती है। आईपीएस ऑफिसर उमेश गणपत की कहानी इस कथन का सबसे बड़ा उदाहरण है। 12वीं में फेल होना, साइकिल पर दूध बेचना और फिर देश की सबसे कठिन परीक्षा को शानदार रैंक से क्रैक करना यह सफर आसान नहीं था। आइए IPS उमेश गणपत के संघर्ष पर एक नजर डालते हैं।
महाराष्ट्र के रहने वाले
IPS उमेश गणपत महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर के पास एक छोटे से गांव महिरावाणी के रहने वाले हैं। उनके पिता गणपत खंडबहाले दूध बेचने का काम करते थे।
बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई
उमेश गणपत की पढ़ाई बोर्डिंग स्कूल से हुई है। उन्होंने साल 2001 में 10वीं की परीक्षा पास की थी। पढ़ाई में एक एवरेज स्टूडेंट होने के चलते उमेश को इंग्लिश सब्जेक्ट में काफी डर लगता था।
12वीं में फेल
उमेश गणपत 12वीं में फेल हो गए। इसके पीछे की वजह भी इंग्लिश सब्जेक्ट बनी। उन्हें इंग्लिश में महज 21 नंबर प्राप्त हुए थे। उन्होंने बोर्डिंग स्कूल छोड़ दिया और घर वापस आ गए।
दूध बेचना शुरू किया
पढ़ाई से किनारा करके उमेश गणपत ने पिता के साथ दूध बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके अलावा वो खेतों में भी काम करते थे। वो दूध की बाल्टी साइकिल पर लादकर नासिक के बाजार में बेचने ले जाते थे।
ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन
नासिक का रास्ता यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (YCMOU) के पास से गुजरता था। अधिकारियों से बात करके उन्होंने वहां एडमिशल ले लिया और 2005 में 12वीं पास की। इसके बाद वो पुणे यूनिवर्सिटी आ गए और यहां से BA, BEd और MA किया।
UPSC की तैयारी
MA करने के बाद उमेश ने यूपीएससी सिविल सर्विस की तैयारी करने का मन बनाया। साल 2012 में उमेश ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन फेल हो गए। अगले प्रयास में भी उन्हें फेल का सामना पड़ा।
मिली UPSC में सफलता
साल 2014 की यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में उमेश गणपत को सफलता हासिल हो गई। उन्हें ऑल इंडिया रैंक 704 प्राप्त हुआ। उनका चयन IPS सर्विस के लिए हुआ। उमेश पश्चिम बंगाल कैडर में तैनात हैं।
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