भीख मांगकर किया गुजारा, झुग्गियों में बीता बचपन, अब MBBS कर बन गई डॉक्टर

डॉक्टर बनने के लिए हर साल लाखों की संख्या में छात्र नीट की परीक्षा में शामिल होते हैं। इसके लिए हजारों लाखों रुपये कोचिंग की फीस में लगा देते हैं। लेकिन यहां हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे जिसका बचपन भीख मांगते हुए झुग्गियों में गुजरा। जिसके माता पिता के पास उसे पढ़ाने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन उसने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर आज सफलता का परचम बुलंद कर डॉक्टर बन गई है।

पिंकी हरयान
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​पिंकी हरयान

दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किलें खुद ब खुद दम तोड़ देती हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज की पिंकी हरयान की।

गरीबी में बीता बचपन
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गरीबी में बीता बचपन

पिंकी का बचपन बेहद गरीबी में बीता। घर में गरीबी का आलम यह था कि शाम तक दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता था। वह बचपन में चार साल की उम्र में अपनी मां के साथ धर्मशाला के मैक्लोडगंज में बौद्ध मंदिर के सामने भीख मांगा करती थी।

मां के साथ मांगा करती थी भीख
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मां के साथ मांगा करती थी भीख

एक इंटरव्यू के दौरान पिंकी ने बताया कि साल 2004 में वह अपनी मां कृष्णा के साथ मैक्लोडगंज में बौद्ध मंदिर के सामने त्योहारों के सीजन में भीख मांग रही थी। तभी टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक भिक्षु लोबसांग जाम्यांग की नजर उन पर पड़ी।

टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट बना पिंकी का सहारा
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​टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट बना पिंकी का सहारा​

जाम्यांग ने पिंकी को भीख मांगते हुए देख उनके घर का पता लगाया। उन्होंने पिंकी के माता पिता को बेटी को स्कूल भेजने के लिए मना लिया। जाम्यांग ने पिंकी का दाखिला धर्मशाला के दयानंद पब्लिक स्कूल में करवाया। इसके बाद पिंकी टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने लगी।

शिक्षा ही बदल सकती है जिंदगी
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शिक्षा ही बदल सकती है जिंदगी

शुरुआत में पिंकी के लिए माता पिता से दूर रहना आसान नहीं था। लेकिन धीरे धीरे पिंकी को यह अहसास हो गया कि शिक्षा ही उनके परिवार को गरीबी से उबार सकती है। इसके बाद से पिंकी अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया।

क्वालीफाई की थी NEET की परीक्षा
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क्वालीफाई की थी NEET की परीक्षा

पिंकी बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। पिंकी ने 12वीं के बाद नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) की परीक्षा क्वालीफाई कर लिया था। हालांकि पिंकी के लिए भारत के किसी प्राइवेट कॉलेज में एमबीबीएस के लिए दाखिला लेना आसान नहीं था। ऐसे में टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट ने पिंकी के पढ़ाई का खर्चा उठाने का जिम्मा ले लिया और पिंकी को साल 2018 में एमबीबीएस की पढाई के लिए चीन भेज दिया।और पढ़ें

चीन से की एमबीबीएस की पढ़ाई
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चीन से की एमबीबीएस की पढ़ाई

वहीं हाल ही में पिंकी अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर चीन से भारत वापस आ गई हैं। अब वह भारत में डॉक्टर बनने के लिए FMGE की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। पिंकी के सफलता की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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