कभी स्कूल ने एडमिशन देने से किया था इंकार, समाज से मिलते थे ताने, फिर पहले अटेम्प्ट में बन गए IAS

यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। हर साल लाखों की संख्या में अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होते हैं। हालांकि सेलेक्शन महज कुछ ही उम्मीदवारों का होता है। लेकिन यहां हम आपको एक ऐसे आईएएस ऑफिसर के बारे में बताएंगे जिसने पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी क्वालीफाई कर इतिहास रच दिया है।

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आईएएस सुहास एलवाई

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मेरा कांटो भरा बिस्तर नहीं देखा, बशीर बद्र साहब की ये लाइन आईएएस सुहास एलवाई पर सटीक बैठती है।

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2007 बैच के आईएएस

सुहास एलवाई साल 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखा है।

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बचपन से ही खेल में दिलचस्पी

पैर खराब होने के बावजूद बचपन से ही खेल के प्रति उनकी हमेशा से दिलचस्पी रही। इसके लिए उन्हें पिता व परिवार का पूरा साथ मिला। हालांकि इसके लिए उन्हें हमेशा समाज के ताने सुनने को मिलते थे।

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जब स्कूल वालों ने एडमिशन देने से किया था इंकार

सुहास ने तोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद पीएम मोदी से बताया था कि किस तरह उन्हें तीन बार स्कूल वालों ने एडमिशन देने से इंकार कर दिया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज सफलता के इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि दुनिया उन्हें सलाम करती है।

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आईएएस एस्पिरेंट्स के लिए टिप्स

सुहास ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में आईएएस एस्पिरेंट्स को टिप्स देते हुए कहा कि, यदि आपको किसी टॉपिक के बारे में लिखना है तो सबस पहले डेटा एंड फैक्ट्स के साथ उस टॉपिक को बयां करें। साथ ही उस विषय के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी दें।

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पेरिस ओलंपिक में दोहराया प्रदर्शन

हाल ही में सुहास एलवाई ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में टोक्या का प्रदर्शन दोहराया था। उन्होंने पुरुष एकल एसएल4 स्पर्धा में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। आपको बता दें आईएएस सुहास पैरालंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।