Gautam Adani को जिस कॉलेज ने नहीं दिया एडमिशन, आज रेड कारपेट बिछाकर लेक्चर देने बुलाया
काम करो ऐसा कि जमाना आपकी मिसाल दें, ऐसा ही कुछ हुआ अडानी ग्रुप के चेसरपर्सन Gautam Adani के साथ। गौतम अडानी देश के जाने-माने उद्योगपति हैं। Hurun India Rich List 2024 के अनुसार, गौतम अडानी सितंबर 2024 में मुकेश अंबानी को पीछे छोड़कर देश के सबसे अमीर भारतीय बन गए हैं। गौतम अडानी ने 1970 के दशक में पढ़ाई के लिए मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ने के लिए आवेदन किया था, लेकिन कॉलेज ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था, Gautam Adani ने इस निराशा में भी आशा की किरण ढूंढ ली और कारोबार का रास्ता चुना जिसने उन्हें देश व दुनिया के टॉप अमीरों की लिस्ट में ला दिया।
जिस कॉलेज ने उन्हें एडमिशन नहीं दिया था, टीचर्स डे पर उसी ने Gautam Adani को लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया, पढ़े पूरा किस्सा।
जब असफलता को बदला सफलता में
एक ब्रिलियंट माइंड की यही खासियत होती है कि वो हार या असफलता के बाद भी नहीं रुकता और मंजिल तक पहुंचने के लिए कोशिशों में कोई कमी नहीं छोड़ता। जब गौतम अडानी को एडमिशन नहीं मिला, तो उन्होंने इस पल को प्रेरणा के तौर पर लिया, और उनके कुछ बड़ा कर दिखाने के सपने को और मजबूती मिली। यही से उन्होंने असफलता को सफलता में बदलने का दृढ़ निश्चय किया।और पढ़ें
जिस कॉलेज ने ठुकराया, उसी ने किया सादर आमंत्रित
बात 1970 के दशक की है, जब गौतम अडानी ने शिक्षा के लिए मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ने के लिए आवेदन किया था, लेकिन कॉलेज ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया। यहां से वे बिजनेस में उतरे और और लगभग साढ़े चार दशक में 220 अरब डॉलर का साम्राज्य खड़ा किया।
जय हिंद कॉलेज ने अस्वीकारा था आवेदन.
जय हिंद कॉलेज के पूर्व छात्रों के संघ के अध्यक्ष विक्रम नानकानी ने भारत के सबसे धनाढ्य व्यक्तियों में शामिल अडनी का परिचय देते हुए कहा कि वह 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे और हीरे छंटाई का काम करने लगे थे। उन्होंने 1977 या 1978 में शहर के जय हिंद कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया।और पढ़ें
जय हिंद कॉलेज से क्यों पढ़ना चाहते थे गौतम अडानी
उन्होंने जय हिंद कॉलेज में इसलिए आवेदन किया था क्योंकि उनके बड़े भाई विनोद उसी कॉलेज में पढ़ते थे। ननकानी ने गौतम अदाणी को ‘पूर्व छात्र’ का दर्जा देते हुए कहा, ‘‘ सौभाग्य से या दुर्भाग्य से, कॉलेज ने उनके आवेदन को स्वीकार नहीं किया और उन्होंने अपना काम करना शुरू कर दिया और एक वैकल्पिक करियर अपनाया।’’और पढ़ें
हीरा छांटने से शुरू किया काम
उन्होंने करीब दो साल तक हीरा छांटने का काम किया। उसके बाद पैकेजिंग कारखाना चलाने के लिए अपने गृह राज्य गुजरात लौट गए। उस कारखाने को उनके भाई चलाते थे। अडानी ने 1998 में जिंसों में व्यापार करने वाली अपनी कंपनी शुरू करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छात्रों को दिया यह खास संदेश
‘ब्रेकिंग बाउंड्रीज: द पावर ऑफ पैशन एंड अनकन्वेंशनल पाथ्स टू सक्सेस’ विषय पर लेक्चर देते हुए अडानी (62) ने कहा कि वह केवल 16 वर्ष के थे जब उन्होंने अपनी पहली सीमा लांघने का फैसला किया। उन्होंने पढ़ाई-लिखाई छोड़ मुंबई में एक अनजाने से भविष्य की ओर कदम बढ़ाया। लोग अब भी मुझसे पूछते हैं, आप मुंबई क्यों चले गए? आपने अपनी शिक्षा पूरी क्यों नहीं की, आपने कॉलेज ज्वॉइन करके परीक्षा क्यों नहीं दी?’’ अडानी ने कहा, ‘‘इसका उत्तर सपने देखने वाले हर युवा के दिल में है जो सीमाओं को बाधाओं के रूप में नहीं बल्कि चुनौतियों के रूप में देखता है जो उसके साहस की परीक्षा लेती हैं।’’ उन्होंने छात्रों से कहा कि आपको भी अपनी सीमाओं से परे सपने देखने व उन्हें पूरा करने का साहस करना होगा।और पढ़ें
अडानी कंपनी के बारे में
आज अडानी की कंपनियां विभिन्न कारोबार से जुड़ी हैं। उनकी कंपनी देश में 13 बंदरगाहों और सात हवाई अड्डों का भी संचालन करती है। आज उनका समूह बिजली के क्षेत्र में भी निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इकाई है। इतना ही नहीं, उनकी कंपनी सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक है, साथ ही देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी चलाती है, एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है और एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती का पुनर्विकास कर रही है।और पढ़ें
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