'खुद को बड़ा तुर्रम खां समझते हो' कहां से आया ये मुहावरा, जानें तुर्रम खां कौन था

'ज्यादा तुर्रम खां न बनो', 'खुद को बड़ा तुर्रम खां समझते हो' इस तरह के आपने कई मुहावरे सुने होंगे। लेकिन कभी इस बारे में जानने की कोशिश की है कि तुर्रम खां कौन था? तुर्रम खां भारतीय था या कोई विदेशी? क्यों इसके नाम पर आज भी चलते हैं ढेरों मुहावरे? क्या किया इन्होंने जो इतने प्रसिद्ध हो गए चलिए जानते हैं इस इंट्रेस्टिंग फैक्ट के बारे में

तुर्रम खां कौन था TURRAM KHAN kaun tha
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तुर्रम खां कौन था, TURRAM KHAN kaun tha

तुर्रम खां का असली नाम तजुर्बे खान था। एक आम सैनिक होने की बावजूद उन्होंने ऐसी वीरता और साहस दिखाई, जो हमेशा के लिए यादगार रह गई। भले उनकी आज एक भी फोटो नहीं है, लेकिन उनके काम की वजह से लोग उनकी कल्पना कर सकते हैं।

तुर्रम खां उर्फ तजुर्बे खान TURRAM KHAN in Hindi
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तुर्रम खां उर्फ तजुर्बे खान, TURRAM KHAN in Hindi

तजुर्बे खान देश के वीर शहीदों में से एक थे। हो सकता है इन्हें कम लोग जानते हों, लेकिन ये बात है 1857 ​क्रांति के समय की, जब भारत के कोने कोने से अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही थी, छोटे बड़े युद्ध लड़े जा रहे थे। बात 1857 की हुई है तो पहले ये जानें कि 1857 की क्रांति मेरठ से शुरू हुई थी, और इसे शुरू करने वाले थे मंगल पांडे।और पढ़ें

अंग्रेजों के खिलाफ बोला धावा Turrebaz Khan History
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अंग्रेजों के खिलाफ बोला धावा, Turrebaz Khan History

उस क्रांति के दौर में देशभर में कई शहर से स्वतंत्रता सेनानियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अंग्रेजों की नाक में ऐसा दम कर दिया, कि वहां से अंग्रेजों को भारत की एकता का अंदाजा हुआ। ये कहानी उसी वक्त की है हैदराबाद के तुर्रम खां की।

1857 की क्रांति 1857 Revolt
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1857 की क्रांति, 1857 Revolt

1857 की क्रांति में हैदराबाद के निजामों ने अंग्रेजों का साथ दिया, बहुत से सिपाही इस निर्णय से खुश नहीं थे, लेकिन एक सिपाही को अपने सीनियर की बात माननी होती है। बहरहाल, अंग्रेजों को दिल्ली में सैकड़ो सैनिकों की जरूरत पड़ी, ऐसे में हैदराबाद के निजामों ने 500 से 600 लोगों की टुकड़ी दिल्ली भेजने का हुक्म दिया। य​ह जिम्मा दिया गया चीता खान नाम के अफसर को, लेकिन उन्होंने दिल्ली जाने और देशवासियों के खिलाफ लड़ने से इन्कार कर दिया, जिसके बाद अंग्रेजों ने चीता खान को रेजीडेंसी हाउस में कैद कर लिया।और पढ़ें

तजुर्बे खान की वीरता Turrebaz Khan information
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तजुर्बे खान की वीरता, Turrebaz Khan information

निजाम की सेना के एक और जांबाज थे, जिनका नाम थ तजुर्बे खान। इन्होंने चीता खान को छुड़वाने की ठानी, हालांकि अंग्रेजों पर हमला करना आसान नहीं था, क्योंकि अंग्रेजी सेना के पास आधुनिक हथियार थे। लेकिन उनमें वीरता कूट कूट कर भरी थी, उन्होंने रात में ही रेजीडेंसी हाउस पर अचानक हमला कर दिया, उन्हें लगा था कि रात में अंग्रेज लड़ाई के लिए तैयार नहीं होंगे और चीता खान को छुड़ा लेंगे।और पढ़ें

गद्दारी Turrebaz Khan History
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गद्दारी, Turrebaz Khan History

कहते हैं तजुर्बे खान के हमले की खबर अंग्रेजों तक पहुंच गई थी, वे तैयार थे, बावजूद इसके तजुर्बे खान की सेना ने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए, इधर तजुर्बे खान अपनी सेना के साथ ब्रिटिशर्स पर कहर बरसा रहे थे, कि अंग्रेजों ने तोपों और बंदूको का इस्तेमाल शुरू कर दिया, जिसके बाद युद्ध का मुंह अंग्रेजों की ओर मुड़ गया। ये लड़ाई 17 जुलाई 1857 को लड़ी गई, तजुर्बे खान और उनकी सेना की तलवार अंग्रेजी तोपों और बंदूकों के सामने नहीं टिक पाईं, लेकिन उनकी शूरता हमेशा हमेशा के लिए याद की जाती है।और पढ़ें

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