ज्वालामुखी कैसे व क्यों फटता है और उसके बाद क्या होता है, यह जान हैरान हो जाएंगे
आपने ज्वालामुखी की फोटो या वीडियो देखे होंगे, कई बार मन में सवाल आया होगा कि ज्वालामुखी क्या होता है, ज्वालामुखी कैसे फटता है, ज्वालामुखी क्यों फटता है और ज्वालामुखी फटने के बाद क्या होता है मंजर, अगर आप भी इन सवालों में रुचि रखते हैं तो यहां से जानें सारे जवाब। ज्वालामुखी फटने जैसी समस्याएं पृथ्वी के प्रारंभ से चली आ रही हैं और आज भी सैकड़ों हजारों में ज्वालामुखी मौजूद हैं, इनमें से कई सारे ज्वालामुखी एक्टिव भी हैं।
ज्वालामुखी क्या होता है
आसान शब्दों में कहें पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी बड़ी दरार या मुख कह सकते हैं, ये दिखने में किसी पहाड़ की तरह होता है। इसके माध्यम से पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, नीचे फंसा मैग्मा (तरल चट्टान) व दूसरी चीजें बाहर आती हैं।
ज्वालामुखी कैसे या क्यों फटता है
पृथ्वी के नीचे बहुत कुछ है, जिनमें से एक मैग्मा भी है, मैग्मा के बाहर निकलने के लिए जगह बहुत कम होती है ऐसे में दबाव धीरे धीरे बढ़ता जाता है, और जब ये बाहर निकलता है तो हिंसक रूप ले लेता है, जिसे ज्वालामुखी का फटना कहते हैं।
क्या होता है मैग्मा
पृथ्वी के अंदर इतनी गर्मी है कि चट्टानें में धीरे-धीरे पिघल जाती हैं और एक गाढ़ा बहता हुआ पदार्थ बन जाती हैं, यही मैग्मा कहलाता है। चूंकि यह अपने आस-पास की ठोस चट्टान से हल्का होता है, इसलिए मैग्मा ऊपर उठता है, और पृथ्वी पर जहां छिद्र होगा या दरार होगी, वहां से बाहर निकल आता है।
ज्वालामुखी फटने के बाद क्या होता है
ज्वालामुखी फटने के बाद पृथ्वी के नीचे से निकलने वाली तरल चट्टान लावा बन जाती है, जो आगे बढ़ने के साथ ही ठोस हो जाती है। यह दिखने में पूरी तरह काली और गंदी होती हैं। ज्वालामुखी फटने के बाद अंदर से निकलने वाली चीजें कई किमी तक फैल सकती हैं।
सबसे ज्यादा ज्वालामुखी कहां फटता है
ज्वालामुखी फटने की घटना सबसे ज्यादा प्रशांत महासागर में होती है। ध्यान दीजिए, ज्वालामुखी एक बार फटने के बाद जरूरी नहीं कि अब नहीं फटेगा। हो सकता है कि ज्वालामुखी कई दिनों, महीनों या वर्षों तक फटता रहे।
एक्टिव ज्वालामुखी क्या होता है
पृथ्वी पर जितने भी ज्वालामुखी मौजूद हैं, जरूरी नहीं है कि सब फट सकते हैं, इनमें से जो एक्टिव हैं केवल उन्हीं के फटने का जोखिम रहता है। gs.ac.uk के अनुसार अभी भी 1500 के आसपास एक्टिव ज्वालामुखी मौजूद हैं। इनमें से 50 से 70 हर साल फटते हैं। कई ज्वालामुखी हवा में बहुत सारी गर्म राख और चट्टानें भी फेंक सकते हैं, जो वातावरण को बहुत खराब कर देता है, यही कारण है कि ज्वालामुखी के आसपास कई किमी तक कोई जीव नहीं रहता।
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