15 अगस्त, 1947 स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली से बाहर कहां और क्या कर रहे थे महात्मा गांधी

भारत को आजादी 15 अगस्त, 1947 को मिली। भारत इस तारीख से पहले करीब दो सौ सालों से अंग्रेजों का गुलाम था। अंग्रेज जो भारत व्यापार करने आए थे, लेकिन किस पता था कि उनके मन में किस तरह का लालच भरा है। जब वे भारत आए तब यहां अकबर के बेटे जहांगीर का शासन चल रहा है, उन्होंने इजाजत दी अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की। अंग्रेजों ने सालों साल यहां रहकर यह समझ लिया कि भारत में हिंदू मुस्लिम को भड़काकर राज किया जा सकता है, और उन्होंने सैन्य शक्ति बढ़ाकर यही किया। इसके बाद 1857 इतिहास का वह साल बना जब भारतीय ने सबसे बड़े स्तर की क्रांति को आग दी, भारत को आजादी दिलाने में हजारों या इससे ज्यादा लोगों ने अपनी भूमिकाएं निभाई, सैकड़ों लोगों ने सर्वोच्च बलिदान ​दिया।

अंग्रेजों के खिलाफ छिड़ी लड़ाई में महात्मा गांधी भी थे, जो लगातार अहिंसा के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े थे। इन्हें भारत का राष्ट्रपिता की उपाधि मिली, जो आज तक कभी और किसी को नहीं दी गई। हिंसा के साथ लड़ाई दंगा, विरोध प्रदर्शन करना अगर कठिन है तो अहिंसा के साथ यह और भी कठिन रहा होगा, तभी तो महात्मा गांधी का हथियार अहिंसा माना गया है। बहरहाल, 15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेजों के शासन व अत्याचार से आजादी मिल गई, लेकिन क्या आप जानते हैं 15 अगस्त 1947 को सारा दिन महात्मा गांधी क्या करते रहे। आइये जानें

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9 अगस्त से थे कोलकाता में

9 अगस्त, 1947 को नोआखाली जाते हुए महात्मा गांधी कलकत्ता (आज का कोलकाता) में रुके थे, उस समय हिंदू मुसलमानों के बीच दंगे चल रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू मारे गए थे, और मुसलमानों को डर था कभी भी उनके साथ कुछ भी हो सकता है।

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महात्मा गांधी ने शांत कराया कोलकाता का दंगा

ऐसे में मुस्लिम लीग के नेताओं ने गांधी से अनुरोध किया कि नोआखाली जाने से पहले वो कुछ समय कलकत्ता में बिताएं, ताकि महात्मा गांधी अपनी कोशिशों से सांप्रदायिकता की आग को बुझा सकने में कामयाब हो सकें।

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कोलकाता में कहां थे महात्मा गांधी

गांधी इस शर्त पर सहमत हुए कि बंगाल प्रांतीय मुस्लिम लीग के नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी उनके साथ रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह कोलकाता के दंगों से तबाह इलाके में रहना चाहते हैं वो भी बिना किसी सुरक्षा के।

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क्यों फेमस है Hyderi Manzil

ऐसे में उन्होंने Hyderi Manzil नाम की बिल्डिंग चुनी, यह वह जगह थी जहां गांधी ने खून के प्यासे एक उग्र भीड़ का सामना किया। उन्होंने सुहरावर्दी को मारने के लिए आए हथियारबंद लोगों के सामने खुद को समर्पित किया, यहीं पर उन्होंने 74 घंटे से ज्यादा का उपवास किया और दंगाइयों को हथियार छोड़ने पर मजबूर किया था। यही से उन्होंने 'यंग इंडिया' के आखिरी कुछ अंकों का संपादन भी किया।

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आजादी के वक्त Hyderi Manzil में थे महात्मा गांधी

यह तो आपको पता होगा कि भारत 14 से 15 अगस्त की रात में आजाद हुआ था। 14 अगस्त की रात जब भारत आजाद हो रहा था तब गांधी कोलकाता में थे, माउंटबेटन और नेहरू दोनों ने गांधी से आजादी के दिन दिल्ली में रहने का अनुरोध किया था लेकिन गांधी ने ये कहते हुए उस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था कि कलकत्ता में उनकी जयादा जरूरत है। जब भारत की आजादी की घोषणा हुई उस दौरान भारत के सबसे बड़े नेताओं में से एक महात्मा गांधी Hyderi Manzil में थे।