किसकी हत्या के बाद भारत में शुरू हुआ अंग्रेजों का एकछत्र राज, जानें क्या हुआ था उस दिन

यह तो हम सभी जानते हैं कि अंग्रेज कैसे भारत आए, कंपनी डाली और फिर देश को ही गुलाम बना लिया, लेकिन उनका यह शासन शुरू कैसे हुआ, आखिर वो कड़ी कौन सी थी जहां से देखते ही देखते भारत गुलामी की ओर चला गया। गुलाम बनने के बाद शुरू हुआ भारत की आजादी की लड़ाई, जो 1947 तक चलती रही, लेकिन इस आजादी की लड़ाई में अनगिनत लोगों ने बलिदान ​दिए, चलिए जानते हैं उस शख़्स के बारे में, जिसकी बहुत बुरी मौत दी गई और अंग्रेजों का एकछत्र राज शुरू हो गया।

प्लासी की लड़ाई
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प्लासी की लड़ाई

बात है 23 जून, 1757 की, जब प्लासी की लड़ाई (Battle of Plassey) हारने के बाद बंगाल के नवाब 'सिराजुद्दौला' (Nawab of Bengal) एक ऊंट पर सवार होकर भाग गए, और जा पहुंचे मुर्शिदाबाद। अगले ही दिन रॉबर्ट क्लाइव ने मीर जाफर तक एक नोट भिजवाया, जिसमें लिखा था, ''मैं इस जीत पर आपको बधाई देता हूं, ये जीत मेरी नहीं आपकी है। मुझे उम्मीद है कि मुझे आपको नवाब घोषित करवा पाने का सम्मान मिलेगा।''और पढ़ें

क्लाइव और मीर जाफर की जुगलबंदी
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क्लाइव और मीर जाफर की जुगलबंदी

क्लाइव ने मीर जाफर को सलाह दी कि वो जल्द से जल्द मुर्शिदाबाद जाएं और उस पर अपना नियंत्रण कर लें। इधर रॉबर्ट क्लाइव मुख्य सेना के साथ मीर जाफर के पीछे-पीछे आए। रास्ते में सड़कों पर छोड़ी गई तोपें, टूटी हुई गाड़ियां और सिराजुद्दौला के सैनिकों और घोड़ों की लाशें मिलती गईं।

मीर जाफर को बैठया गद्दी पर
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मीर जाफर को बैठया गद्दी पर

'द ब्रिटिश कॉक्वेस्ट एंड डॉमीनियन इन इंडिया' नाम की किताब में लिखा है, ''वैसे तो क्लाइव को 27 जून को मुर्शिदाबाद पहुंचना था, लेकिन उन्हें कही से जानकारी मिली थी उनकी हत्या करने की योजना बनाई जा रही है, इसलिए वे 29 जून तक शहर पहुंचे। चूंकि मीर जाफर पहले ही पहुंच चुके थे ऐसे में उसने मुख्य द्वार पर क्लाइव का स्वागत किया। रॉबर्ट क्लाइव ने ही मीर जाफर को सिंहासननुमा मसनद पर बैठाया। फिर उन्होंने ऐलान किया कि कंपनी मीर जाफर के शासन में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी केवल तिजारती मामलों पर नजर रखेगी।और पढ़ें

सिराजुद्दौला की गिरफ्तारी कैसे हुई
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सिराजुद्दौला की गिरफ्तारी कैसे हुई

एक फकीर शाह दाना ने मुख़िबरी कर दी, सिराजुदौला को पहचान कर उसने उनके दुश्मनों तक ये जानकारी पहुंचा दी। इसके बाद मीर जाफर के दामाद मीर कासिम ने सिराजुद्दौला को अपने हथियारबंद लोगों से घेर लिया, 2 जुलाई, 1757 को सिराजुद्दौला को मुर्शिदाबाद लाया गया, उस समय रॉबर्ट क्लाइव भी वही मौजूद था।

सिराजुद्दौला की बर्बरता से हत्या
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सिराजुद्दौला की बर्बरता से हत्या

बीबीसी डॉट कॉम के अनुसार, मोहम्मदी बेग जिसे लाल मोहम्मद नाम से भी जाना जाता था, सिराजुद्दौला को ख़त्म करने के आदेश दिया, और मोहम्मदी बेग ने सिराजुद्दौला पर कटार से पहला वार किया, इसके बाद मोहम्मदी बेग के साथ के लोगों ने अपने अपने औजार निकालकर सिराजुदौला की बर्बरता से हत्या कर दी।

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