सिकंदर ने जीती सारी दुनिया, फिर क्यों नहीं जीत पाया भारत

सिकंदर का नाम तो सुना होगा, जिसे बहुत ही महान शासक का नाम दिया गया है। सिकंदर को अलेक्जेंडर (Alexander) नाम से भी जाना जाता है। उसका एक ही सपना था - दुनिया को जीतना। उसने दुनिया के एक बहुत बड़े हिस्से को जीतकर भी दिखाया। सिकंदर एक यूनानी था, उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ था। वह पूरी दुनिया पर शासन चाहता था, इसके लिए उसने सबसे लोहा लिया, रास्ते में आने वाले सभी दुश्मनों को हराया, बड़ी बड़ी सेनाएं उसके आगे हार गई, जबकि छोटी सेनाओं ने समर्पण कर दिया।

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सिकंदर का सपना

दुनिया जीतने के चक्कर में वह भारत पर भी अधिकार जमाना चाहता था, इसके लिए उसने भारत के राजा पोरस को घुटने टेकने का आदेश दिया। पोरस के बारे में भारतीय इतिहास में कम और यूरोपीय इतिहास में ज्यादा जानकारी मिलती है। पोरस एक जबरदस्त राजा हुआ करता था। उसका शासन झेलम नदी से चेनाब नदी तक था, राजा पोरस शासन राज्य के पड़ोस में ईरान हुआ करता था।

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सिकंदर बढ़ रहा था भारत की ओर

उधर दूसरी तरफ सिकंदर दुनिया जीतते हुए ईरान के बॉर्डर पर आ गया था। ईरान के पास उस समय सिकंदर के बाद दूसरी सबसे ता​कतवर सेना थी। ईरान को जीतने के लिए सिकंदर ने कई आक्रमण किए, एक समय पर ईरान हार की कगार पर था, तब उसने पड़ोसी देश भारत के राजा पोरस से मदद मांगी। लेकिन जब तक मदद पहुंचती, सिकंदर ने ईरान पर आक्रमण कर उसे हरा दिया।

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सिकंदर ने किया भारत पर आक्रमण

इसके बाद सिकंदर ने भारत पर आक्रमण की ठानी, सिकंदर ने पहले पोरस को अपने आधीन शासन करने का ओदश दिया। लेकिन पोरस भी बहुत साहसी था, उसने अलेक्जेंडर के आदेश को ठुकरा दिया। अलेक्जेंडर अपमानित महसूस करने लगा, और उसने भारत पर आक्रमण करना चाहा, लेकिन पहली चुनौती थी झेलम नदी को पार करना। खैर, कैसे तैसे झेलम नदी को पार करके युद्ध शुरू हुा, लेकिन यह युद्ध सिकंदर के जीवन काल का सबसे भीषण युद्ध साबित हुआ, एक समय सिकंदर यह युद्ध जीतता हुआ नजर आ रहा था।

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भारत ने ऐसा बदला युद्ध का रुख

लेकिन पोरस ने युद्ध के बीच में अचानक से हाथियों का इस्तेमाल किया जिससे सिकंदर की सेना बिखर गई, दोनों सेना से बहुत लोग मारे गए, और पोरस और सिकंदर दोनों जख्मी हो गए।

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नहीं जीत पाया भारत

दिन खत्म हो गया, सूरज ढल गया, सिकंदर के सबसे खास घोड़े की मौत हो गई, जिसके बाद उसने वापस लौटने का निर्णय लिया, इस तरह भारत को जीतने का ख्वाब अधूरा रह गया।