5 साल के बेटे को छोड़कर ओशो के आश्रम चला गया था ये मेगास्टार, गुरु की दीवानगी में सफल करियर को भी मारी लात

​बॉलीवुड के मेगास्टार विनोद खन्ना अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में बने रहते थे। ये वो स्टार थे जो अपने करियर के पीक पर सबकुछ छोड़कर सन्यास लेकर चले गए थे। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए थे। जब वह आश्रम में गए तब उनके बच्चे बहुत छोटे थे। बाद में उन्हीं स्टार आज जब वह दिन याद करते हैं तो आँखें भर आती हैं।

विनोद खन्ना का विवादित जीवन
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विनोद खन्ना का विवादित जीवन

​1970 के दशक में बॉलीवुड के मेगास्टार विनोद खन्ना ने अपनी फिल्मों और अपने लुक से फैंस के दिल पर राज करते थे। उन्होंने ‘मन का मीत’ से डेब्यू करने के बाद अपनी फिल्मों से अपनी अलग पहचान बनाई थी। इसके बाद वह ‘मेरे अपने’ और ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी हिट फिल्मों से अपने स्टारडम को और मजबूत किया। अपने करियर के चरम पर, खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर ओशो का अनुसरण करके सभी को चौंका दिया, और अमेरिका के रजनीशपुरम कम्यून में रहने लगे थे। उनका जीवन विवादों से भरा रहा था। ​और पढ़ें

5 साल के बेटे को छोड़कर गए
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5 साल के बेटे को छोड़कर गए

ये वो समय था जब विनोद खन्ना बॉलीवुड का बड़ा नाम थे, वह अपने करियर के पीक पर थे और उन्होंने परिवार को छोड़ने का फैसला कर लिया था। विनोद के बेटे अक्षय बताते हैं कि जब उनके पिता घर छोड़कर गए तब वह केवल 5 साल के थे। उस समय अक्षय को पता नहीं चला था कि उनके पिता कहाँ और क्यों गए हैं।

पहली पत्नी ने दे दिया था तलाक
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पहली पत्नी ने दे दिया था तलाक

विनोद खन्ना सबकुछ छोड़कर ओशो के आश्रम चले गए थे। वह अमेरिका में बसे ओशो के शहर रजनीशपुरम में रहने लगे थे। अचानक से ऐसे परिवार को छोड़कर जाना उनकी पत्नी को सहन नहीं हुआ और उन्होंने विनोद से तलाक लेने का फैसला कर लिया था। उनकी पहली पत्नी गीतांजलि ने उनसे तलाक ले लिए और अक्षय खन्ना और उनके भाई को लेकर चली गई। और पढ़ें

टूट गया था परिवार
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टूट गया था परिवार

अक्षय खन्ना की पहली पत्नी गीतांजलि ने बताया था कि जब विनोद एकदम से घर और सबकुछ छोड़कर चले गए थे तब पूरा परिवार टूट गया था। उनके पास दो छोटे बेटे थे और परिवार की जिम्मेदारी भी थी।

ओशो के आश्रम में करते थे ये काम
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ओशो के आश्रम में करते थे ये काम

जब विनोद खन्ना ओशो के आश्रम गए तब वह बॉलीवुड के बड़े स्टार थे। उनका बॉलीवुड में सिक्का चलता था, लेकिन अपना काम छोड़कर उन्होंने ओशो के आश्रम में कपड़े धोए , बर्तन धोए और सभी घरेलू काम किए थे।

पापा को समझ नहीं पाए अक्षय
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पापा को समझ नहीं पाए अक्षय

​अक्षय खन्ना ने बताया कि जब उनके पिता चले गए तब वह केवल चार या पाँच साल के थे। उतब उन्हें इस बात का महत्व समझ में नहीं आया कि क्या हुआ था। इतनी कम उम्र में, अक्षय अपने पिता की अनुपस्थिति को ओशो से नहीं जोड़ पाए या त्याग की अवधारणा को नहीं समझ पाए। जैसे-जैसे कोई बड़ा होता है, शायद 15 या 16 साल का होता है, आप उस व्यक्ति के बारे में सीखना, सुनना या पढ़ना शुरू कर देते हैं। तब समझ आया कि वह क्यों गए। ​और पढ़ें

ऐसे मिला पिता का साया
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ऐसे मिला पिता का साया

अक्षय खन्ना ने बताया था अगर ओशो का आश्रम बंद नहीं हुआ होता तो वह कभी अपने पिता को वापिस नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा था कि ​जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मुझे अपने पिता के निर्णय की महत्ता समझ में आने लगी। उसने स्वीकार किया कि संन्यास लेने का मतलब न केवल परिवार, बल्कि अपने पूरे जीवन को त्यागना है।​

कैंसर ने ली जान
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कैंसर ने ली जान

साल 2017 में विनोद खन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। ब्लैडर कैंसर की वजह से विनोद ने अपना शरीर त्याग दिया था। मौत से पहले उनकी एक तस्वीर सामने आई थी जिसने सबको हैरानी में डाल दिया था। विनोद की मौत से पूरा परिवार सदमे में चला गया था।

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