केवल 3 महीने मिलता है ये छोटा सा फल कहा जाता है पहाड़ी अमृत, बीमारियां को भगाता हैं शरीर से कोसों दूर
हिमालय पर संजीवनी बूटी मिली थी, इसके बारे में तो आपने रामायण में जरूर देखा और सुना होगा। लेकिन आज हम आपको हिमालय के पहाड़ों पर मिलने वाली एक फल के बारे में में बताएंगे जिसे पहाड़ी अमृत कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

पहाड़ों का अमृत
हिमालय के पहाड़ न केवल अपने नेचर ब्यूटी के लिए एक अलग पहचान रखते हैं, बल्कि ये आपको कई तरह और औषधीय जड़ी-बूटियां भी देते हैं। आज हम आपको हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाले ऐसे फल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे पहाड़ का अमृत कहा जाता है।

कौन सा है फल?
आपको बता दें कि दुर्गम पहाड़ी इलाकों में मिलने वाले इस फल को 'हिसालू' कहा जाता है। जो अपने औषधीय गुणों के साथ स्वाद के लिए भी बेहद खास है।

केवल 3 महीने खाने मिलता है
हिसालू फल की उपलब्धता की बात करें तो ये केवल मार्च से मई के बीच केवल 3 महीने खाने को मिलता है। हिसालू एक नारंगी रंग का जंगली फल है, जिसके कई तरह के हेल्थ बेनिफिट्स आपको देखने के लिए मिल सकते हैं।

हिसालू का वैज्ञानिक नाम क्या है?
हिसालू का वैज्ञानिक नाम रूबस इलिप्सस (Rubus Ellipticus) है। जो गुलाब परिवार से संबंध रखता है। ये फल आपको भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, नेपाल, फिलीपींस, चीन) में देखने को मिलता है।

हिसालू के पोषक तत्व
हिसालू फल न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि ये विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में कारगर होते हैं।

हिसालू का औषधीय इस्तेमाल
पारंपरिक चिकित्सा में हिसालू का इस्तेमाल पेट की समस्याओं, सिरदर्द, बुखार जैसी समस्याओं से राहत पाने में किया जाता है।

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