Himalayan Medicines: हिमालय की वादियों में छिपी है फूलों की रानी, शरीर पर करती है जादू, जड़ से भगाती है ये बीमारी

Himalayan Blue Poppy Medicinal Uses: हिमालय के पहाड़ों के ढलानें और चट्टानों की दरारें इस खास पौधे का घर हैं, जिसे हिमालयन ब्लू पॉपी कहते हैं। जुलाई-अगस्त में खिलने वाले इन खूबसूरत फूलों का इस्तेमाल तिब्बती दवाइयों में होता है, आइए जानते हैं इसके बारे में।

फूलों की रानी
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फूलों की रानी

फूलों की रानी के नाम से मशहूर हिमालयन ब्लू पॉपी एक कांटेदार फूलों का पौधा है। जिसका साइंटिफिक नाम मेकोनोप्सिस एक्यूलेटा है। भारत, नेपाल, चीन और भूटान में पाया जाने वाला ये सुंदर फूल लद्दाख का स्टेट फ्लावर है।

नमी में उगने वाला फूल
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नमी में उगने वाला फूल

मेकोनोप्सिस एक्यूलेटा या ब्लू पॉपी एक बारहमासी पौधा है जिसकी लंबाई करीब दो फीट तक होती है। हल्की धूप और पानी न रोकने वाली मिट्टी में उगने वाला पौधा है। हालांकि ये नम मिट्टी में अच्छा उगता है।

हेमकुंड साहिब में पाया जाता है
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हेमकुंड साहिब में पाया जाता है

मानसून के मौसम में हेमकुंड साहिब की ढलान पर इन दुर्लभ फूलों का दिखना बहुत आम है। हेमकुंड साहिब और भ्यूंदर खाल के ट्रेक का ज्यादातर हिस्सा और वैली ऑफ फ्लावर्स से बद्रीनाथ ट्रेक पूरी तरह से इन खूबसूरत नीले फूलों से भरा रहता है।

तिब्बती दवाइयों में इस्तेमाल
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तिब्बती दवाइयों में इस्तेमाल

इस पूरे पौधे का इस्तेमाल तिब्बती चिकित्सा में किया जाता है, जहां इसे ठंडक देने वाला माना जाता है। बुखार और बदन दर्द के इलाज में इसका काफी इस्तेमाल होता है। इसके अलावा ये हड्डियों के दर्द और मांसपेशियों में सूजन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

होता जा रहा है दुर्लभ
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होता जा रहा है दुर्लभ

इसके बावजूद कि इस पौधे में कुछ जहरीले गुण होते हैं, खास तौर पर जड़ों में, फिर भी ये काफी हद तक पर्शियन जूनिपर के साथ मिलाकर दवा के तौर पर इस्तेमाल होता है। दवा के रूप में पौधे की बढ़ती मांग की वजह से ये दुर्लभ होता जा रहा है।

देश में दवा के तौर पर इस्तेमाल
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देश में दवा के तौर पर इस्तेमाल

उत्तराखंड और लद्दाख के कुछ इलाकों में भी ये औषधि के तौर पर इस्तेमाल होता है। हेपेटाइटिस, निमोनिया, जोड़ों के दर्द, बुखार, सूजन और खास तौर पर इसे सिर से जुड़ी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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