जड़ी-बूटियों का बाप है यह आदिवासी पाउडर, चुटकी भर से शरीर बनेगा फौलादी, नस-नस में भर जाएगी ताकत
झारखंड देश का ऐसा राज्य है जहां कई आदिवासी प्रजातियां रहती हैं। बहुत से आदिवासियों की लाइफस्टाइल अब भी आधुनिकता से दूर है। इनमें से बहुत से ऐसे हैं जो मेडिकल साइंस से ज्यादा प्राकृतिक औषधियों पर विश्वास करते हैं। वनस्पतियां इनके जीवन का प्रमुख अंग हैं। ऐसी ही एक वनस्पति है चकोर।
क्या होता है चकोर
आदिवासी जब खेतों में कोई सब्जी उगाते हैं तो उसके आसपास अपने आप कुछ छोटे घास उग आते हैं। इसी घास को वो लोग चकोर कहते हैं।
कैसे बनता है चकोर पाउडर
आदिवासी इस घास को धूप में सुखाते हैं और फिर उसका पाउडर बना लेते हैं। इस पाउडर से एक अलग तरह की ही खुशबू आती है।
क्या होता है इस घास के पाउडर में
इसमें विटामिन A, B, C के अलावा विटामिन B16 और आयरन, जिंक व कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। कैल्शियम के साथ ही फॉस्फोरस व मैग्नीशियम होने की वजह से यह हड्डियों की मजबूती के लिए वरदान है।
कई बीमारियों में रामबाण है यह पाउडर
आदिवासी इसे चावल के मांड में मिलाकर पीते हैं। एक कप मांड़ में एक चम्मच चकोर डालकर पीने भर से सर्दी जुकाम के छूमंतर हो जाने का दावा किया जाता है। इसके पोषक तत्व हड्डियों को को मजबूत करने के साथ ही शरीर मे हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ते हैं।
ताकत के लिए क्या खाते हैं आदिवासी
लोग अकसर सोचते हैं कि आदिवासी शहरी जीवन से दूर जंगलों में कैसे अपना जीवन यापन करते होंगे। वो ये देखकर भी हैरान रहते हैं कि बिना किसी आधुनिक सुविधा के भी कई आदिवासी काफी स्वस्थ्य और बेहतर जीवन जीते हैं। दरअसल ये लोग जड़ी बूटियों और प्राकृतिक वनस्पतियों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। झारखंड के आदिवासी ताकत के लिए एक खास तरह का पाउडर खाते हैं। इस पाउडर को चकोर कहते हैं।
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