बच्चों वाली इस गंभीर बीमारी से जूझ रहीं 32 साल की आलिया भट्ट, शादी के दिन भी हुई थी दिक्कत

Alia Bhatt: ​आलिया भट्ट बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस हैं। रणबीर कपूर संग शादी के बाद वह एक प्यारी सी बेटी की मां बन चुकी हैं। बेटी राहा के साथ वह मदरहुड को एंजॉय कर रही हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में आलिया भट्ट ने बताया है कि उन्हें एक दिक्कत है जो ज्यादातर बच्चों को होती है। सिर्फ 2.5 प्रतिशत वयस्क ही इस डिसऑर्डर के शिकार होते हैं।

आलिया भट्ट और अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर
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आलिया भट्ट और अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर

आलिया भट्ट ने एक विदेशी मैगजीन के साथ इंटरव्यू में बताया है कि वह ADD से पीड़ित है। ADD मतलब अटेंशन डेफिसिट डिसॉर्डर। यह ऐसा डिसऑर्डर है जो छोटे बच्चों में देखा जाता है। वयस्कों में बहुत कम ही इस तरह की दिक्कत होती है। हालांकि आलिया भट्ट को है। आइए जानते हैं क्या होता है अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर और क्या होते हैं इसके लक्षण:और पढ़ें

क्या होता है अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर
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क्या होता है अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर

अटेंशन डेफिसिट का मतलब किसी भी एक काम पर लगातार ध्यान लगाए रहने की कमी। ऐसे लोग किसी भी एक काम में बहुत ज्यादा देर तक फोकस नहीं बनाए रख पाते। उनमें होल्ड करने की क्षमता ही नहीं होती है। इसमें किसी चीज़ पर ध्यान देना और उसे लगातार बनाए रखने में परेशानी आती है।

बच्चों में होता है यह डिसऑर्डर
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बच्चों में होता है यह डिसऑर्डर

विशेषज्ञ बताते हैं कि एडीडी अधिकतर बच्चों में होता है। यह पैदाइशी डिसॉर्डर है। बच्चा जब जन्म लेता है तब से ही उसमें ये दिक्कत आ जाती है। ये ऐसा डिसऑर्डर है जो किसी भी उम्र में डेवलप नहीं होता है। ये ऐसी दिक्कत है जिसपर भारत में अब भी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

आलिया भट्ट ने शेयर किया वाकया
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आलिया भट्ट ने शेयर किया वाकया

आलिया भट्ट ने बताया कि अपनी शादी वाले दिन उनके मेकअप आर्टिस्ट ने कहा कि दो घंटे तक मेकअप होगा। आलिया ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि वह 45 मिनट से ज्यादा नहीं बैठ पाएंगी। आलिया एडीडी के कारण ही किसी एक काम में बहुत ज्यादा देर तक ध्यान नहीं लगा पाती हैं।

क्या है एडीडी का इलाज
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​क्या है एडीडी का इलाज​

यह ऐसा डिसऑर्डर है जो किसी दवा से नहीं बल्कि थेरेपी से सही हो सकता है। इसके लिए जरूरत है कि सही समय पर पेरेंट्स ये समझ लें कि उनके बच्चे में ये दिक्कत है। जिस बच्चे में भी ये डिसऑर्डर दिखे उन्हें ऑकुपेशनल थेरेपिस्ट (ओटी) के पास ले जाना चाहिए। थेरेपी से बच्चों की ये समस्या दूर हो सकती है।

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