Indian Parents को समझ ही नहीं आती पेरेंटिंग की ये 7 बातें, इन आदतों को अब भी नहीं छोड़ा तो नर्क बन सकती है बच्‍चे की जिंदगी

​बच्चों के भविष्य निर्माण में माता पिता द्वारा दी गई परवरिश का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन क्या हो अगर मां-बाप की छोटी-छोटी गलतियों से बच्चें नाजुक उम्र में कुछ गलत कर बैठे? चलिए जानते हैं क्यों भारतीय समाज में परवरिश एक अभिशाप बनता जा रहा हैं।

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माता पिता की परवरिश

आज की भाग-दौड़ वाली जिंदगी में माता-पिता ने अपने बच्चों को एक ऐसी दौड़ का हिस्सा बना दिया है, जिसकी कोई फिनिश ही लाइन नहीं है। बच्चों की परवरिश में प्यार और अनुशासन का तालमेल होना जरूरी है। लेकिन पेरेंट्स इस बदलते दौर में अपने बच्चों को लेकर कुछ ऐसी गलतियां करते हैं जिनसे बच्चों के भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आज हम पेरेंटिग से ही जुड़ी ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में आपको बता रहे हैं। पेरेंटिंग स्टाइल का बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ता है, ऐसे में यहां दी गई 7 बातों पर ध्यान देना काफी ज्यादा जरूरी है।

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लोग क्या कहेंगे?

जब भी बच्चें अपनी मर्जी से कोई फैसला लेना चाहते हैं तो हर माता-पिता का एक ही सवाल रहता है कि 'लोग क्या कहेंगे ?' इस सवाल से बच्चों के सारे सपने टूट जाते हैं क्योंकि उनके भीतर समाज का भय डाल दिया जाता है।

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समाज के लिए बच्चों की परवरिश

माता पिता अपने बच्चों को उनके भविष्य के लिए नहीं अपितु समाज में खुदका वर्चस्व हासिल करने के लिए तैयार करते हैं। लोग हमेशा अपने बच्चों वही चीजें करने के लिए मंजूर करते हैं जो समाज उनसे कहता हैं। समाज के फैसलों से बच्चों का भविष्य निर्धारित किया जाता हैं।

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दूसरे धर्म की खिलाफत करना

बहुत से माता पिता अपने बच्चों के अंदर दूसरे धर्म के लोगों से नफरत का बीज उगा देते हैं। इससे बच्चों के अंदर एक नफरत जन्म लेती हैं जो समाज के एकता को नष्ट कर देती हैं।

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बड़े ही हमेशा सही होते हैं

हम सभी के घरों एक बार्र सिखाई जाती है कि जो बड़े कहते हैं वो हमेशा सही होता हैं। संस्कारों के अनुसार ये बाते ठीक हैं लेकिन जरूरी नहीं की हर बार बड़े सही ही हो। उन्हें अपनी बच्चों या अपने से छोटों की भी सुनना चाहिए।

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घर की बाते चार दिवारी में ही रहने दो

भारत में घरेलु हिंसा के मामले इसी नाते सामने नहीं आते हैं क्योंकि लोग अपने बच्चों को ये सिखाते हैं कि घर की बात घर से बाहर नहीं जानी चाहिए। ऐसे में बड़ो के डर से बच्चें सच को दबा देते हैं।

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बच्चों की पूरी जिंदगी का फैसला

माता पिता अपने बच्चों के हर एक चीज का फैसला करना चाहते हैं। उन्हें क्या पसंद या वो क्या करना चाहते हैं उनसे ये बात कोई नहीं पूछता हैं। माता पिता का अधिकार केवल बच्चों के संस्कार देने तक हैं। वो संस्कार जो समाज का निर्माण करें।

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भारतीय परवरिश सबसे हटकर?

आज भी माता पिता पुरानी सोच के साथ जीते चले आ रहें हैं जिसकी वजह से उनके बच्चों का भविष्य दांव पर लगा रहता हैं। अगर बच्चें अपने मन की बात उनके सामने रखते हैं तो या तो उन्हें डाटा जाता हैं या मारा जाता हैं जिससे बच्चें गलत कदम उठाते हैं।