मंदिर में मुंडन के बाद लंदन के सैलून कैसे पहुंच जाते हैं आपके बाल, क्यों 'वर्जिन हेयर' की दीवानी है दुनिया
मंदिरों में मुंडन से रोजाना सैकड़ों टन बाल इकट्ठा हो जाता है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि इन बालों का होता क्या है? मंदिर प्रशासन इन बालों का क्या करता है? कहां जाते हैं लोगों के चढ़ाए बाल? कौन करता है इन बालों को इस्तेमाल?
मंदिरों में चढ़ाए जाते हैं बाल
भारत में सिर मुड़वाना बेहद आम है। हिंदू धर्म में तो इसका खास महत्व है। कई मौकों पर सिर मुंड़वाने की प्रथा है। जहां बच्चों के मुंडन संस्कार में उनके बाल काटने की परंपरा है तो वहीं अंतिम संस्कार में भी सिर मुड़वाया जाता है। कुछ लोग तो मन्नत पूरी होने पर भी सिर मुंड़वाते हैं। किसी पवित्र नदी के घाट से लेकर मंदिरों तक में लोग अपने बाल चढ़ाते हैं। यूपी के विंध्यवासिनी मंदिर से तिरुपति के बालाजी मंदिर तक में रोजाना बड़ी तादाद में लोग मुंडन कराने या फिर बाल चढ़ाने आते हैं। (Photo: TWITTER/@IFTYMAHFUZ88)
कहां जाते हैं मंदिरों में चढ़ाए बाल
मंदिरों में मुंडन से रोजाना सैकड़ों टन बाल इकट्ठा हो जाता है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि इन बालों का होता क्या है? मंदिर प्रशासन इन बालों का क्या करता है? कहां जाते हैं लोगों के चढ़ाए बाल? कौन करता है इन बालों को इस्तेमाल?
चल रहा बड़ा व्यापार
आपको जानकर हैरानी होगी कि जो बाल आप किसी संस्कार में या मन्नत पूरी होने के बाद मंदिरों में चढ़ाते हैं वो लाखों करोड़ों के व्यापार का हिस्सा बन जाते हैं। लखनऊ के किसी मंदिर में चढ़ाए बाल कब लंदन के किसी सैलून में पहुंच जाए ये कहा नहीं जा सकता।
भारतीयों के बालों की भारी डिमांड
जी हां मंदिरों में चढ़ाए गए बालों का व्यापार होता है। विदेशी बाजार में इन बालों की भारी मांग है। बालों के व्यापार की दुनिया में भारतीयों के बालों को वर्जिन हेयर कहा जाता है। इन बालों को वर्जिन हेयर कहने के पीछे भी एक वजह है।
वर्जिन हेयर कहलाते हैं भारतीयों के बाल
ऐसी धारणा है कि भारतीय अपने बालों के साथ ज्यादा प्रयोग नहीं करते। यहां बालों को रंगने या फिर किसी केमिकल ट्रीटमेंट का चलन उतना नहीं है जितना दूसरे देशों में है। वैसे भी जिस वर्ग के लोग मंदिरों में बाल चढ़ाते हैं वह वर्ग भी ऐसा नहीं होता जो बालों पर बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट करता हो। दूसरी तरफ बच्चों के बालों में केराटिन की मात्रा बहुत अधिक होती है। भारतीयों के बाल अपने नैसर्गिक रूप के बेहद करीब होते हैं। इसी कारण इन्हें वर्जिन हेयर कहा जाता है।
बालों की प्रोसेसिंग
मंदिरों से बालों को इकट्ठा करके हेयर प्रोसेसिंग यूनिट में ले जाया जाता है। यहां सबसे पहले बालों को सुलझाने का काम किया जाता है। यह प्रक्रिया हाथ और सुई के इस्तेमाल से होती है। बालों को सुलझाने के बाद उन्हें साफ किया जाता है और फिर लंबाई के हिसाब से अलग-अलग बंडल बना दिए जाते हैं।
रंग बिरंगे विग में बदल जाते हैं बाल
बालों के बंडलों को डाइल्यूट एसिड के घोल में डालकर साफ किया जाता है। उसके बाद उन्हें एक ऑस्मोसिस बाथ नाम की प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया में बालों के पोषण को नष्ट किये बिना उनपर लगे दाग धब्बे हटाए जाते हैं। इन्हीं बालों से रंग बिरंगे विग बनाए जाते हैं जो दुनिया भर के तमाम देशों तक पहंचते हैं।
काला सोना
बालों के व्यापार और अच्छे मुनाफे को देखते हुए कुछ व्यापारी इंसानी बालों में घोड़े या बकरी के बाल मिलाकर भी बेच देते हैं। वहीं कुछ तो नकली बाल भी मिला देते हैं। लेकिन अच्छी क्वालिटी के भारतीय बालों से बने विग की डिमांड ज्यादा होने के कारण इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। इसकी कीमत के कारण ही बालों के व्यापार में लगे लोग भारतीय बालों को काला सोना भी कहते हैं।
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