साल में जितने दिन उतनी थी रानियां, हैसियत के हिसाब से खिलाता था खाना, चर्चा में रहती थी नाइट पार्टी

Bhupinder Singh of Patiala: जब देश अंग्रेजों के गुलामी की जंजीरें तोड़कर आजाद हुआ तो उस वक्त भारत में 550 से ज्यादा देसी रियासतें हुआ करती थीं। सबके अपने राजा, महाराजा, नवाब और निजाम थे। इन राजाओं के शौक भी अनूठे थे, लेकिन इन सबमें पटियाला रियासत के सातवें महाराजा और नरेंद्र मंडल के अध्यक्ष सर भूपेंद्र सिंह की बात ही कुछ अलग थी।

पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह
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पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह

Maharaja Bhupinder Singh of Patiala: महाराजा भूपिंदर सिंह अपनी विलासिता और शानो-शौकत से भरी जिंदगी के लिए जाने जाते थे। वह पहले भारतीय थे जिनके पास हवाई जहाज था और वह कारों के भी शौकीन थे। उनके पास 20 रॉल्स रॉयस गाड़ियों का एक काफिला था। जब मुगलों ने भारत पर राज किया तो उनके शाही हरम की चर्चा हर ओर होती थी। लेकिन भूपिंदर सिंह ने अपने जमाने में अय्याशी और विलासिता की ऐसी इबारत लिखी कि मुगलों की चमक ही फीकी पड़ गई।

1 राजा और 365 रानियां
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1 राजा और 365 रानियां

पटियाला दरबार में मिनिस्टर रहे दीवान जरमनी दास के मुताबिक हिज हाइनेस महाराजा सर भूपिंदर सिंह काफी रंगीन मिजाज के महाराज थे। साल में जितने दिन होते हैं उतनी ही रानियां उनके हरम में थीं, मतलब कि 365 रानियां। उनमें से 10 प्रमुख थीं। बाकी महाराजा के लिए सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए थीं। रानियों का भोजन भी उनकी हैसियत के हिसाब से तय होता था।

महाराजा का शाही अंदाज
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महाराजा का शाही अंदाज

महाराजा भूपिंदर सिंह के महल में रानी-महारानी या फिर राजकुमारों के जन्मदिन पर ऐसा भव्य जलसा होता था कि देखने वालों के मुंह खुले रह जाते थे। छोटी दावतों में भी करीब 300 खास मेहमान शामिल होते थे। उनके लिए दुनिया का सबसे अच्छा भोजन और शराब परोसा जाता।

विदेशी परोसते थे खाना
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विदेशी परोसते थे खाना

भारतीय वेटर्स के साथ ही इटालियन और अंग्रेज़ वेटर्स खाना परोसते थे। खाने और शराब की गुणवत्ता उच्चकोटि की होती थी। दुनिया की सबसे महंगी शराब मेहमानों के मिजाज को रंगीन बना देती थी। भोज के बाद संगीत का कार्यक्रम होता था, जहां भारत के विभिन्न क्षेत्रों से बुलाई गई नर्तकियां महाराजा का मनोरंजन करती थीं।

भूपिंदर सिंह की नाइट पार्टी
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भूपिंदर सिंह की नाइट पार्टी

भले नाइट पार्टीज का कल्चर अब ज्यादा पॉपुलर हुआ हो लेकिन उस जमाने में भूपिंदर सिंह की ये पार्टियां शाम से शुरु हो कर अगली सुबह तब तक चलती थी जब तक हर कोई शराब के नशे में चूर होकर सो नहीं जाता था।

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