जिंदगी के हर मायने से रूबरू कराती हैं जयशंकर प्रसाद की ये बातें, खुशहाल जीवन के लिए बांध लें गांठ

Jaishankar Prasad: हिंदी साहित्य में छायावाद के आधार स्तंभों में से एक जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1890 को काशी में हुआ था। वह संपन्न व्यापारिक घराने के थे और उनका परिवार संपन्नता में केवल काशी नरेश से ही पीछे था। पिता और बड़े भाई की असामयिक मृत्यु के कारण उन्हें आठवीं कक्षा में ही विद्यालय छोड़कर व्यवसाय में उतरना पड़ा।

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जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार

आठवीं तक पढ़ें जयशंकर प्रसाद ने घर पर रहकर ही खुद की ज्ञान वृद्धिकी। उन्होंने घर पर रहकर ही हिंदी, संस्कृत एवं फ़ारसी भाषा एवं साहित्य का अध्ययन किया, साथ ही वैदिक शास्त्र और भारतीय दर्शन का भी ज्ञान अर्जित किया। जयशंकर प्रसाद ने कई पंक्तियां ऐसी लिखी हैं जो हमेशा के लिए अमर हैं। उनके कलम से निकले ऐसे शब्द जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइए डालते हैं उन्हीं में से चंद पर एक नजर:

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निद्रा

निद्रा भी कैसी प्यारी सी वस्तु है। घोर दुख के समय भी मनुष्य को यही सुख देती है।

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उपदेश

संसार अपराध करके इतना अपराध नहीं करता, जितना यह दूसरों को उपदेश देकर कहता है।

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जीवन

ऐसा जीवन तो विडंबना है, जिसके लिए रात-दिन लड़ना पड़े

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क्रोध

जिसके हृदय सदा समीप है वही दूर जाता है, और क्रोध होता उसपर ही जिससे कुछ नाता है।

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हंसाना चाहिए

यदि एक भी रोते हुए को तुमने हंसा दिया, तो सहस्त्रों स्वर्ग तुम्हारे अंतर में विकसित होंगे।

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कर्म

जो अपने कर्मों को ईश्वर का कर्म समझकर करता है, वही ईश्वर का अवतार है।