Naga Sadhu: कड़ाके की सर्दी में भी नहीं पहनते कपड़े, जानिए नागा साधुओं को क्यों नहीं लगती ठंड

Naga Sadhu Lifestyle: प्रयागराज की पावन धरती पर संगम किनारे लोक आस्था के पर्व महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का आगाज हो चुका है। देश दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी के पावन जल में श्रद्धा की डुबकी लगाने पहुंच चुके हैं। महाकुंभ के लिए प्रयागराज (Prayagraj) साधु और संन्यासियों से भी पट चुका है। इन साधुओं में सबसे ज्यादा चर्चा है नागा साधुओं की। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में नागा साधुओं के जीवनशैली की चर्चा जोरों पर है।

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महाकुंभ और नागा साधु

Why do Naga Sadhus not feel cold: तीर्थनगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर सर्दी का प्रकोप भी नजर आ रहा है। लोग कड़ाके की ठंड में संगम स्नान को पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में लोग जहां अलाव तापते दिख रहे हैं वहीं नागा साधु हैं जो निर्वस्त्र ही इस सर्दी मुकाबला कर रहे हैं। दरअसल नागा साधु वस्त्र नहीं पहनते और तन पर सिर्फ भस्म रमाए रहते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि नागा साधुओं को ठंड क्यों नहीं लगती?

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कौन होते हैं नागा साधु

ऐसा प्रचलित है कि जब जगद्गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की तो उसकी सुरक्षा के लिए एक टोली भी बनाई। इस टोली में ऐसे ही संन्यासियों को रखा जो वीर, निडर और मोह माया से दूर हों। साधुओं की यही टोली नागा कहलाई।

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निर्वस्त्र क्यों रहते हैं नागा

नागा साधुओं का मानना है कि मनुष्य जब जन्म लेता है तो इंसान निर्वस्त्र ही होता है। ईश्वर ने उन्हें बिना कपड़ों के भेजा इसीलिए वह भी कपड़े नहीं पहनते। नागा साधु इंसान की प्राकृतिक अवस्था को ही सत्य मानते हैं।

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नागा साधुओं को ठंड क्यों नहीं लगती

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नागा साधु योग और साधना से खुद को ऐसा बना लेते हैं कि उन्हें सर्दी या गर्मी का एहसास नहीं होता। वह शरीर को गर्म रखने के लिए अग्नि साधना और नाड़ी शोधन जैसे योग नियमित करते हैं।

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इंसुलेटर का काम करती है भस्म

नागा साधु शरीर पर जो भस्म लगाते हैं वह उनके लिए इंसुलेटर का काम करती है। अग्नि तत्व से तैयार होने वाली भस्म उनके शरीर को ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचाती हैं। नागा साधु अपने खान पान को भी ऐसा रखते हैं कि शरीर में गर्माहट बनी रहे।