Rangotsav 2023: बरसाने में लठामार होली की धूम, हुरियारिनों के वार से बचते रहे हुरियारे, देखें तस्वीरें

सब जग होरी, बृज में होरा...! भगवान कृष्ण के बृज में होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। बुधवार की शाम बरसाने में लठामार होली का उत्सव शुरू हो गया। बरसाना में हुरियारिनों ने नंदगांव के हुरियारों को लाठियों से पीटा। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि हुरियारिनों के वार से हुरियारे कैसे बचते रहे।

बरसाने में बरसी लाठी
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बरसाने में बरसी लाठी

कान्हा का बृज होली के खुमार में डूबा हुआ है। हर जगह अबीर-गुलाल के रंग उड़ रहे हैं। इस बीच राधारानी की नगरी बरसाने और नंदगांव में लठ्ठमार होली खेली जा रही है। लड़कियों और महिलाओं ने राधारानी का रूप धारण कर नंदगांव से आए कृष्ण के रूप में हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाईं।

पुरानी है परंपरा
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पुरानी है परंपरा

ब्रज में बरसाना एवं नन्दगांव में खेली जाने वाली लठामार होली विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है। रंग और उमंग के इस पर्व पर लाठियां चलती देख एकबारगी सभी का दिल मुंह में आ जाता है। हर कोई पहली बार तो हक्का-बक्का रह जाता है। परंतु, उसे इसका आनन्द भी बहुत आता है।

राधा- कृष्ण की शरारत
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राधा- कृष्ण की शरारत

भगवान श्रीकृष्ण और उनके सखा नंदगांव से बरसाना आते हैं और राधा रानी को अलग-अलग रंगों की बारिश कर उन्हें सांवले रंग में रंगने का प्रयास करते हैं। इस होली की शुरुआत राधा और श्रीकृष्ण के प्यार और शरारत से हुई थी। राधा अपनी सखियों के साथ कृष्ण और उनके मित्रों की लाठियों से पिटाई करती थी।

लड्डू होली के बाद लठामार होली
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लड्डू होली के बाद लठामार होली

बता दें कि श्रीकृष्ण ने जब बरसाने होली खेलने का न्योता स्वीकार किया था तो बरसाने में लड्डू की होली होती है और अगले दिन लठमार होली होती है।

फाल्गुन शुक्ल नवमी है खास
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फाल्गुन शुक्ल नवमी है खास

प्राचीन परम्परा के अनुसार फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन नन्दगांव के हुरियार बरसाना की हुरियारिनों से होली खेलने के लिए पहुंचते हैं। वे पहले दोपहर में बरसाना कस्बे के बाहर स्थित प्रियाकुण्ड पर एकत्र होते हैं जहां बरसानावासी उनका जोरदार स्वागत करते हैं।

ऐसे पहुंचें मथुरा-वृंदावन
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ऐसे पहुंचें मथुरा-वृंदावन

दिल्ली से ट्रेन या बस के जरिये मुथरा पहुंचा जा सकता है। इसके बाद आप वृंदावन के लिए ऑटो, टैक्सी या बस ले सकते हैं। ठहरने के लिए वृंदावन में ही होटल या आश्रम लेना सही होगा,क्योंकि यहां से बरसाने और नंदगाव पहुंचना आसान होगा। वृंदावन से दोनों ही स्थान एक से आधे घंटे की दूरी पर है।

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