सदियों से चली आ रही इन व्यंजनों की परंपरा, गुरु पर्व के दिन श्रद्धा से पकाए जाते हैं ये 5 पकवान
गुरु पर्व की सुबह तो प्रभात फेरी में गुरबानी के मीठे बोलों के साथ होती है जो प्रार्थनाओं और भजनों से होती हुई एकता की भावना बढ़ाने वाले लंगर तक जाती है। लंगर में बनते हैं खूब सारे पकवान, आज हम ऐसे ही 5 पारंपरिक भोजनों के बारे में जानते हैं जिन्हें प्रकाश पर्व के मौके पर बनाया जाता है।

गुरुपर्व के दिन भोजन की परंपरा
गुरु नानक देव की जयंती के इस आध्यात्मिक अवसर पर लंगरों का विशेष आयोजन किया जाता है और सभी जाति-संप्रदायों के लोगों के साथ बांट कर प्रसाद पाए जाते हैं। इस दिन बनने वाले कुछ खास व्यंजन यहां बताए जा रहे हैं।

लंगर वाली काली दाल
खास तौर पर लंगर में बनने वाली काली दाल सिख संप्रदाय में एक खास जगह रखती है। इसे किसी भी खास मौके पर हर पंजाबी परिवार बनाता है। काली उरद की दाल और चने की दाल को मिलाकर रात भर भिगोकर रखते हैं और सुबह कुछ मसालों के साथ पकाते हैं।

कढ़ा प्रसाद
कढ़ा प्रसाद किसी भी लंगर की शान होती है। आटे, चीनी और घी को मिलाकर बनाए जाने वाले इस व्यंजन का अद्भुत स्वाद होता है। विनम्रता और सम्मान के प्रतीक इस प्रसाद को सबको थोड़ी थोड़ी मात्रा में बांटा जाता है।

मीठे चावल
ये गुरुपर्व के दिन का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन है। खुशबुदार चावल के साथ चीनी, घी, केसर और मेवे मिलाकर इसे पकाया जाता है। केसर की वजह से इसका रंग पीला होता है।

चना दाल की खिचड़ी
गुरु नानक देव को याद करके उनके जयंती के दिन इस स्वादिष्ट भोजन को पकाया जाता है। इसे पकाने के लिए चना दाल और चावल को कुछ घंटे भिगोकर रखा जाता है फिरकुछ सब्जियों के साथ मिलाकर इसे पकाया जाता है।

सरसों का साग और मक्के की रोटी
पंजाब की सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक साग और मक्के की रोटी भी इस दिन बनाई जाती है। लहसुन, अदरक, हरी मिर्च से छौंका हुआ सरसों के साग को पकने के बाद इसमें थोड़ा मक्के का आटा मिलाकर गाढ़ा कर लिया जाता है और मक्के की रोटी और मक्खन या घी के साथ इस प्रसाद को पाया जता है।

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